किसानों और केंद्र सरकार के बीच 22 जनवरी को हुई बातचीत बेनतीजा रही है. केंद्र सरकार कृषि कानूनों में बदलाव को तो तैयार है, लेकिन इन्हें पूरी तरह रद्द करने के मूड में नहीं है.
चढूनी पर राजनीतिक पार्टियों से मुलाकात और खुद अपनी तरफ़ से आंदोलन संबंधित कार्यक्रम आयोजित करने का आरोप लगा है. गुरुनाम चढूनी पर कांग्रेस-आम आदमी पार्टी के नेताओं से मुलाकात करने का भी आरोप लगा है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आऱोप लगाया कि बीजेपी लोकतांत्रिक संस्थानों को कुचल रही है. उन्होंने बीजेपी के नेताओं को भारतीय संविधान की एबीसी सीखने का न्योता भी दिया.
उन्होंने 1969 में भारतीय जनसंघ (बीजेएस) के टिकट पर पहली बार चुनाव जीता था. बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वर्ष 1992 में पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. शर्मा के परिवार में चार बेटे हैं. उनके ज्येष्ठ पुत्र गुलशन शर्मा ने बताया कि सोमवार को उनके पैतृक स्थान फिरोजपुर में अंतिम संस्कार किया जाएगा.
मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान, राष्ट्रीय राजधानी में और उसके आसपास हफ्तों तक कानूनों का विरोध करते रहे हैं. उन्हें डर है कि कानून पारंपरिक फसल बाजारों और न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी को समाप्त कर देंगे और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट घरानों द्वारा शोषण के लिए अतिसंवेदनशील बना देंगे. प्रदर्शनकारी किसानों ने पिछले कुछ दिनों में पंजाब भाजपा के कुछ नेताओं पर निशाना साधा है ताकि वे कानून को निरस्त करने की मांग कर सकें.
दिल्ली के शिकायतकर्ता नवीन कुमार ने आरोप लगाया है कि सिंह के बयानों से जनता में भय पैदा होने की संभावना है और ये किसी भी व्यक्ति को राज्य या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.
राज्य में नारनौल में भी मौसम की सबसे सर्द रात रही और तापमान शून्य से नीचे 0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. उन्होंने बताया कि सिरसा, अंबाला, करनाल, रोहतक और भिवानी में न्यूनतम तापमान क्रमश: 1.5, 3.6, 4.1, 4.2 और 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
कृषि कानूनों पर केंद्र व किसानों के बीच पहले जितने दौर की वार्ता (Farmers Talks Government) हुई हैं, उनमें किसानों ने सरकार के लंच को स्वीकार नहीं किया है. किसान अपने साथ लाया गया या लंगर में तैयार भोजन ही करते हैं.
सूत्रों ने कहा कि राज्य पुलिस ने टावर तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है और ज्यादातर मामलों में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है. टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (टीएआईपीए) ने कहा है कि कम से 1,600 टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है.
किसानों ने फिर से चेतावनी दी कि मोदी सरकार किसानों को मूर्ख ना समझे, यदि सरकार इस गलतफहमी में या गफलत में रहेगी तो फिर आने वाले दिनों में सत्तासीन पार्टी के लोगों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
Government Farmers Talks : बैठक में तीनों नए कृषि सुधार से जुड़े कानून, एमएसपी की मौजूदा व्यवस्था, सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी बिल और प्रदूषण के लिए लाए गए अध्यादेश पर चर्चा होगी.
पंजाब में मुकेश अंबानी के रिलायंस जियो से जुड़े लगभग 1,400 टेलीकॉम टावर शनिवार से ही परेशान किसानों द्वारा निशाना बनाया गया. समाचार एजेंसी पीटीआई को सूत्रों ने बताया कि हमलों ने सेवाओं पर असर डाला और ऑपरेटर कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कार्रवाई के अभाव में संघर्ष कर रहे थे.
कथित सुसाइड नोट में अमरजीत सिंह ने लिखा है कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में और कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी जान दे रहे हैं, ताकि सरकार जनता की आवाज सुनने को मजबूर हो जाए. पुलिस का कहना है कि वह 18 दिसंबर को लिखे गए सुसाइड नोट की सच्चाई की जांच कर रही है
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि होटल एक भाजपा कार्यकर्ता है, जिसने एक कंपनी भी चलाई थी जो मवेशी और चिकन फ़ीड की आपूर्ति करती थी. उन्होंने कहा कि वे कंपनी के उत्पादों का बहिष्कार करेंगे.
किसान आंदोलन (Farmers Protest) चलाने में महिलाएं बराबर योगदान दे रही हैं. लंगर पकाने से लेकर मंच से भाषण देने और सुनने में महिला किसान पुरूष किसानों से ज़्यादा भागीदारी निभा रही हैं
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से आढ़तियों की भी सबसे बड़ी मांग यही है कि खुले बाजार और मंडियों में कर सममूल्य पर होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो हमारे विपणन बोर्ड और मंडियां समृद्ध होंगी. अगर केंद्र सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है तो, मेरे विचार में किसानों की सबसे बड़ी मांग पूरी होती है."
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में अब तक करीब 30 लोगों की मौत हो चुकी है. किसान करीब एक माह से दिल्ली की कई सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं.
किसान नेताओं के मुताबिक, सरकार बार-बार बातचीत की बात कहकर लगातार किसानों की मांगों को टाल रही है. सरकार फौरन कृषि बिल रद्द करे. किसान नेताओं का कहना है कि हम 6 महीने यहीं बैठे रहेंगे.