वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तरन तारण धरमन सिंबाले ने कहा, "श्री सिंह की आज हत्या कर दी गई. हमले में दो लोग शामिल थे, जिनमें से एक ने उनके घर पर जाकर गोली मार दी. हमने मामला दर्ज कर लिया है और इसकी जांच की जा रही है."
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 4 अक्टूबर को कहा था, "हम तब तक काले खेत कानूनों के खिलाफ लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे, जब तक कि उन्हें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर लिखित संवैधानिक गारंटी देने और एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) को जारी रखने के लिए संशोधन नहीं किया जाता है,"
भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख अश्विनी शर्मा के वाहन पर होशियारपुर जिले में चोलांग टोल प्लाजा पर कुछ प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया. यह जानकारी पुलिस ने सोमवार शाम को दी. पुलिस ने बताया कि इस घटना में शर्मा की कार के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए लेकिन शर्मा सुरक्षित हैं. यह घटना उस समय हुई जब शर्मा जालंधर से वापस पठानकोट जा रहे थे.
एक लुटेरे के पास से गन छीनने की कोशिश में व्यवसायी तरसेम लाल (Businessman Tarsem Lal)को मामूली चोट आई है. पुलिस ने बताया कि तरसेम के फिरोजपुर जिला स्थित घर के बाहर इंतजार कर रहे दो अन्य लुटेरे भागने में सफल हो गए.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने रविवार को केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि नए विवादित कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ तब तक जारी रहेंगे जब तक कि उन्हें या तो वापस ले लिया जाए या फिर उसमें उन बातों को शामिल किया जाए जिनकी मांग किसान कर रहे हैं.
अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल अमृतसर से एक मार्च का नेतृत्व किया, जबकि हरसिमरत कौर बादल बठिंडा से आई हैं. तीसरा जुलूस अकाली दल के नेताओं प्रेम सिंह चंदूमाजरा और दलजीत सिंह चीमा के नेतृत्व में आनंदपुर साहिब से शुरू हुआ था.
बादल ने कहा, ‘किसानों के संपूर्ण हित में हम हर संघर्ष के लिए तैयार हैं.’’मालूम हो कि संसद से पारित कृषि संबंधित विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हो गया है. पार्टी की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर ने कैबिनेट मंत्री के पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने कहा शिवसेना और शिअद "राजग के स्तंभ" थे जो अब वहां नहीं हैं. राउत ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन को राजग नहीं कहा जा सकता है. यह एक अलग गठबंधन है. भाजपा का लोकसभा में स्पष्ट बहुमत है.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया. "हम किसानों के लिए बादल और अकाली दल के समर्थन का समर्थन करते हैं. किसानों के लिए लड़ाई तृणमूल डीएनए का हिस्सा है. 2006 में, ममता बनर्जी ने किसानों के अधिकारों के लिए 26 दिन के उपवास पर अपना जीवन जोखिम में डाल दिया. हम कृषि बिलों का विरोध करते हैं क्योंकि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खरीद की राज्यों की भूमिका को खतरे में डालते हैं."
अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी द्वारा रेल रोको आंदोलन का आज दूसरा दिन है. कमेटी ने किसान बिल के विरोध में 24 से 26 सितंबर तक रेल रोको आंदोलन चलाया है.
किसानों के आंदोलन को द्खते हुए रेलवे ने 24 से 26 सितंबर तक पंजाब में रेल परिचालन रद्द कर दिया है. 24 से 26 सितंबर तक कोई भी यात्री व पार्सल ट्रेन पंजाब नहीं जाएगी. ट्रेनों को अम्बाला कैंट, सहारनपुर और दिल्ली स्टेशन पर टर्मिनेट किया जाएगा.
मोदी सरकार मानसून सत्र में तीन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पास कराना चाहती है. इनमें किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल-2020 और मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल, 2020 शामिल है.
गुरुवार (17 सितम्बर) को लोकसभा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि विपणन में सुधार से संबंधित दो विधेयक पेश किए जिसे बहस के बाद सदन ने पारित कर दिया.
हरसिमरत कौर बादल ने कहा है कि विरोधी क्या कहते हैं मैं इसकी परवाह नहीं करती हूं. उन्होंने कहा कि अगर आप कांग्रेस नेता के बयानों की बात करते हैं तो मैं बता दूं कि संसद में मंत्री जी ने खुद कहा था कि जब इस कानून को लेकर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंद सिंह के साथ चर्चा हुई थी तो उन्होंने तीन बैठकें करके इस पर अपनी सहमति दी थी.
सिद्धू ने पंजाबी में ट्वीट किया, "किसानी पंजाब दी रूह, सरीर दे घाव भर जांदे हन,पर आत्मा ते वार, साडे अस्तित्व उत्ते हमला बर्दाश्त नहीं, जंग दी तूती बोलदी ऐ - इंकलाब ज़िन्दाबाद, पंजाब, पंजाबियत ते हर पंजाबी किसानां दे नाल."
पूरे पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके खिलाफ रास्ता जाम कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को 'कोरोना वायरस से भी बदतर' बताया है. उन्होंने कहा कि यदि इन्हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे.
पूरे पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके खिलाफ रास्ता जाम कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को 'कोरोना वायरस से भी बदतर' बताया है. उन्होंने कहा कि यदि इन्हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे.