संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा है राजस्थान : राज्यपाल से मुलाकात के बाद बीजेपी ने कहा

"विधानसभा सत्र बुलाने के लिए एक प्रक्रिया है, लेकिन राजभवन को बैठने के लिए थियेटर बना दिया, क्या यह उचित है?"

संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा है राजस्थान : राज्यपाल से मुलाकात के बाद बीजेपी ने कहा

बीजेपी के 12 सदस्सीय प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की.

जयपुर:

राजस्थान भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन में लिखा "मुख्यमंत्री द्वारा 24 जुलाई को जिस प्रकार अपने दल के लोगों को उत्प्रेरित करते हुए राजभवन घेरने की धमकी एवं उस स्थिति में राज्य सरकार द्वारा राजभवन को सुरक्षा प्रदान करने की असमर्थता व्यक्त की, यह IPC की धारा 124 का स्पष्ट उल्लंघन है"  बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए राजस्थान बीजेपी के प्रमुख सतीश पूनिया और अन्य भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस पर हमला किया, उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने नाटकीयता के साथ राज्यपाल को अपने संवैधानिक कर्तव्य निभाने से रोका.

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे पूनिया ने कहा, "विधानसभा सत्र बुलाने के लिए एक प्रक्रिया है, लेकिन राजभवन को बैठने के लिए थियेटर बना दिया, क्या यह उचित है? वे महामारी अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं. हमने राज्यपाल से पूछा है कि कोरोनावायरस पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. यह राजस्थान में नियंत्रण से बाहर है."

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राज्य में 34,000 से अधिक कोविड​​-19 के मामले हैं, जिनमें से लगभग 9,000 सक्रिय मामले हैं. इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और उत्तर प्रदेश बीजेपी के एक नेता अशोक कटारिया ने कहा, “यह विधानसभा सत्र की मांग करने का कोई तरीका नहीं है. आप राजभवन में घेराव (धरना) नहीं कर सकते. आप धरना (विरोध प्रदर्शन) देकर विधानसभा सत्र की मांग कैसे कर सकते हैं"

कटारिया ने कहा, "कैबिनेट के पास विधानसभा सत्र के लिए कहने का अधिकार है, लेकिन आपको इसके लिए कारण बताना होगा. कांग्रेस विधानसभा को बुलाने के लिए कोई कारण नहीं बता रही है." उन्होंने कहा, "राजभवन को सुरक्षा के रूप में सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) की जरूरत है,"

उन्होंने विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया द्वारा पिछले सप्ताह की गई मांगों को फिर से उठाया किया. राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के उप नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा: "यह सरकार एक संवैधानिक संकट की तरफ बढ़ रही है"

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अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जो कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत 19
विधायकों के बागी होने के चलते सियासी संकट का सामना कर रही है वह बहुमत साबित करने के लिए सत्र बुलाने की मांग कर रही है. शुक्रवार को गहलोत राजस्थान हाईकोर्ट के उस निर्णय के बाद शक्ति परीक्षण के लिए बाहर निकले जिसमें उनकी सरकार को धमकी देने वाली टीम पायलट को फौरी राहत मिली. अदालत ने कहा कि पिछले हफ्ते बागियों को भेजे गए अयोग्य नोटिसों पर अब कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. 

गहलोत का मानना है कि उनके पास सत्ता बनाए रखने के लिए संख्या है या अगर उन्हें विश्वास मत का सामना करना
पड़ता है और अगर वह जीत जाते है, तो अगले छह महीनों के लिए कोई वोटिंग नहीं हो सकती है. कांग्रेस के पास विपक्ष पर मामूली बढ़त है और 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में 101 के बहुमत के निशान से केवल एक सीट ज्यादा है. टीम पायलट 30 विधायकों के समर्थन का दावा करता है, लेकिन अब तक सबूत केवल 19 को इंगित करते हैं. भाजपा में 72 हैं, छोटे दलों और स्वतंत्र सदस्यों को मिलाकर, विपक्ष के पास इस समय 97 हैं.

यदि टीम पायलट को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो यह बहुमत के निशान को नीचे लाकर मुख्यमंत्री की मदद करेगा.
लेकिन अगर वे कांग्रेस विधायकों के रूप में वोट देने के लिए केस जीत जाते हैं, तो वे सरकार को खतरे में डाल सकते हैं.

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