Prashant Shishodia, ये फिल्म दर्शकों को थोड़ी भारी लग सकती है क्योंकि पूरी फ़िल्म में कोर्ट रूम में कार्यवाही चल रही है. वो भी वस्तिवक्ता के करीब, यानी ड्रामा ना के बराबर. दूसरी बात जो की मैं ख़ामी नहीं मानता पर फिर भी दर्शकों के नज़रिए से यहां बात करनी ज़रूरी है, कुछ लोगों को हो सकता है इस फ़िल्म का नज़रिया ना पचे.