
नरसिंह यादव (फाइल फोटो)
नाडा के फैसले से नरसिंह यादव के गांव और घर में खुशिया दौड़ गई थीं लेकिन वाडा का फैसला घर पर कहर बनकर टूटा है. उस फैसले को जानने के लिए पूरी रात घर के लोग उम्मीद का दीया लेकर जागते रहे, सोए नहीं. अब जब सुबह यह खबर आई तो घर के लोगों की आंख के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे. किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि जब नाडा ने उसे कठिन परीक्षा के बाद क्लीन चिट दे दिया था तो वाडा ने कैसे रोक दिया?
मां को तो भरोसा ही नहीं हो रहा कि अब उसका बेटा ओलिंपिक में नहीं खेलेगा. पिता कहते हैं कि वह खेलता तो गोल्ड मेडल जरूर लाता. गांव के परिवेश में रहने वाले सीधे-साधे माता-पिता अभी भी आस लगाए हैं कि उसे किसी तरह खेलने के लिए मिल जाता क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उनका बेटा साजिश का शिकार हुआ है. उसने कोई गलती नहीं की है तो फिर सजा, यह कैसा नियम है. यही वजह है कि इसकी निष्पक्ष जांच की मांग वह प्रधानमंत्री से कर रहे हैं.