
सुशील कुमार (फाइल फोटो)
कुश्ती में ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार गुरुवार को एक अलग ही अंदाज में दिखाई दिए. तीन साल के लंबे अंतराल के बाद राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के जरिये मैट पर वापसी करने से ठीक पहले सुशील कुमार का आज ‘दार्शनिक अंदाज’ नजर आया. दार्शनिक अंदाज में उन्होंने कहा कि उतार-चढ़ाव जिंदगी का हिस्सा हैं और कई बार जीवन में आगे बढ़ने से पहले रेड लाइट पर रुक कर थोड़ी देर इंतजार भी करना पड़ता है.
राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा लेने पहुंचे सुशील ने कि मैं अपने गुरु महाबली सतपाल के आदेश पर मैट पर उतर रहा हूं. तीन साल के अंतराल के बावजूद मैं किसी युवा पहलवान की तरह ही महसूस कर रहा हूं. राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप लड़कर हर पहलवान खुद को तरोताजा महसूस करता है, चाहे वह कुश्ती के क्षेत्र में नया हो या पुराना.
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बता दें कि भारत को दो बार ओलंपिक पदक दिलवाने वाले इस 34 वर्षीय स्टार पहलवान ने पिछले कुछ समय में अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. आगे उन्होंने कहा कि जब आदमी आगे बढ़ता है, तो उसे उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ सकता है. कहीं उसे ठोकर लगती है, तो कहीं उसे आगे बढ़ने के लिये रेड लाइट पर थोड़ी देर रुककर इंतजार करना पड़ता है.
राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में 74 किलोग्राम वर्ग में रेलवे की नुमाइंदगी कर रहे सुशील कल मैट पर उतरेंगे. उन्होंने कहा कि जीवन जीने का मंत्र भी यही है कि इंसान को कई बार नये सिरे से शुरुआत करनी पड़ती है. कुश्ती की आगामी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं की तैयारी के बारे में पूछे जाने पर पुरुष फ्रीस्टाइल के इस दिग्गज पहलवान ने कहा कि फिलहाल उनकी निगाहें केवल राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप पर टिकी हैं.
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इंदौर से अपने जुड़ाव का जिक्र करते हुए सुशील ने कहा कि मध्यप्रदेश के इस सबसे बड़े शहर को कुश्ती के बड़े प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिये. इंदौर में मुझे हमेशा लोगों का प्यार और दुआएं मिली हैं. मुझे शहर के वरिष्ठ कोच कृपाशंकर पटेल का मार्गदर्शन भी मिलता रहता है. उम्मीद है कि राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान मुझे इस बार भी लोगों का पूरा समर्थन मिलेगा, जिससे मैं एक बार फिर इस खेल में देश की नुमाइंदगी कर सकूंगा.
सुशील को पिछली बार वर्ष 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में चुनौती पेश करते हुए देखा गया था, जहां उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था. उन्हें रियो ओलंपिक 2016 में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था, जब डब्ल्यूएफआई इस वादे से पलट गया कि इन खेलों में भारत का प्रतिनिधत्व करने का फैसला करने के लिये उनके और नरसिंह के बीच ट्रायल से होगा. बता दें कि सुशील ने इसके बाद अदालत का दरवाजा भी खटखटाया लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने 74 किग्रा वर्ग में ट्रायल की उनकी मांग ठुकरा दी थी.
VIDEO: रियो ओलिंपिक 2016 : सुशील कुमार को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका (इनपुट भाषा से)