एसबीआई (SBI) सेविंग खाता : क्या है MAB, कब लगेगी पेनल्टी, कैसे बचें इससे- जानें सबकुछ

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मेट्रो, अर्बन (शहरी), सेमी-अरबन, रुरल (ग्रामीण) - चार आधारों- पर पेनल्टी और एमएबी की रकम तय करता है.

एसबीआई (SBI) सेविंग खाता : क्या है MAB, कब लगेगी पेनल्टी, कैसे बचें इससे- जानें सबकुछ

एसबीआई (SBI) में यदि आपका भी सेविंग खाता है तो यह खबर जरूर पढ़ें (प्रतीकात्मक फोटो)

खास बातें

  • एसबीआई के बचत खाते में मंथली ऐवरेज बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना
  • यह अर्बन, सेमी अर्बन, रुरल और मेट्रो शहरों के लिए अलग अलग है
  • जानकारों के मुताबिक, पेनल्टी से बचा जा सकता है
नई दिल्ली:

क्या आपका भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में बचत खाता है? यदि हां तो आपको बता दें कि एसबीआई के सेविंग खाते में मंथली ऐवरेज बैलेंस (औसतन मासिक शेष) नहीं रखने पर 100 रुपये तक की पेनल्टी आपको चुकानी होगी. इस पेनल्टी में 1 जुलाई से देशभर में लागू हुए जीएसटी के तहत लगे टैक्स को शामिल नहीं किया गया है. दरअसल, केंद्रीय बैंक आरबीआई के निर्देशों के मुताबिक बैंक सामान्य बचत खातों में एक तयशुदा न्यूनतम रकम (मिनिमम बैलेंस) न रखने पर शुल्क लगा सकते हैं. 

एसबीआई की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबकि, इस मंथली ऐवरेज बैलेंस (औसतन मासिक शेष)  के तहत रकम और शुल्क को बैंक ने चार भागों में बांटा है- मेट्रो, अर्बन (शहरी), सेमी-अरबन, रुरल (ग्रामीण). यानी, यदि आप कानपुर में रहते हैं तो आपके लिए बैंक द्वारा तय किया शुल्क व मंथली ऐवरेज बैलेंस (MAB) दिल्ली के मुकाबले अलग होगा. 

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उदाहरण के लिए, यदि किसी मेट्रो शहर की एसबीआई ब्रांच में आपका एसबीआई अकाउंट है तो आपको एमएमबी 5000 रुपये रखना होगा. शहरी इलाकों के लिए एमएबी 3000 रुपये, सेमी-अर्बन के लिए एमएबी 2000 रुपये, रुरल के लिए एमएबी 1000 रुपये है. नीचे दिए गए चार्ट से इस बारे में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं : 
 

sbi mab penalty

वैसे मामलों के जानकार बताते हैं कि बेहतर यह होगा कि आप बहुत अधिक सेविंग अकाउंट खोलें हीं नहीं, क्योंकि ऐसे में आपको अधिक खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने का झंझट रहेगा. साथ ही हो सकता है कि कभी कभार किसी गफलत में कुछेक हजार रुपये या कुछ रुपये कम होने पर भी आपका ठीक ठाक तरीके से चल रहा खाता पेनल्टी के दायरे में आ जाए. 



एसबीआई अपनी माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कह चुका है-  अपने खाते पर नियमित रूप से नजर रखें और ध्यान दें कि यह तयशुदा रकम से कम तो नहीं होने लगा है. औसत मासिक बैलेंस मैन्टेंन करें और न्यूनतम शुल्क न होने पर लगने वाली पेनल्टी से बचें.

इनपुट : ndtv.com

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