ADVERTISEMENT

क्या है Provident Fund, यानी क्या है PF - जानें प्रॉविडेंट फंड से जुड़े सभी सवालों के जवाब...

What is Provident Fund: बहुत-से नौकरीपेशा साथी इस बात से अक्सर कन्फ्यूज़ रहते हैं कि असल में पीएफ कितना कटना चाहिए, उनके पीएफ खाते में कितनी रकम जमा हो रही है, कितनी सालाना बचत इस पीएफ की रकम की बदौलत हो पाएगी, यानी इस रकम पर उन्हें कितना ब्याज हासिल होगा, और पीएफ के मद में होने वाली कटौती से उन्हें इनकम टैक्स के संदर्भ में कुल कितना फायदा होगा.
NDTV Profit हिंदीVivek Rastogi
NDTV Profit हिंदी02:26 PM IST, 11 Aug 2022NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

Provident Fund या PF (पीएफ) या प्रॉविडेंट फंड या भविष्य निधि, आमतौर पर हर नौकरीपेशा व्यक्ति इन शब्दों से ज़रूर वाकिफ होता है, क्योंकि यही वह रकम है, जिसके बूते अधिकतर नौकरीपेशा लोग रिटायरमेंट के बाद की अपनी ज़िन्दगी को प्लान करते हैं... कुछ साल पहले तक तो बहुत-से नौकरीपेशा लोगों के घर भी पीएफ के भरोसे ही बन पाते थे, और वह भी रिटायरमेंट के बाद, और बहुतों ने अपनी लाड़ली बेटियों की शादी करने के लिए भी पीएफ का ही दामन थामा.

यह भी पढ़ें : ग्रेच्युटी क्या है, कैसे की जाती है कैलकुलेट – सब कुछ जानें

लेकिन असलियत यह है कि हमारे बहुत-से नौकरीपेशा साथी इस बात से अक्सर कन्फ्यूज़ रहते हैं कि असल में पीएफ कितना कटना चाहिए, उनके पीएफ खाते में कितनी रकम जमा हो रही है, कितनी सालाना बचत इस पीएफ की रकम की बदौलत हो पाएगी, यानी इस रकम पर उन्हें कितना ब्याज हासिल होगा, और पीएफ के मद में होने वाली कटौती से उन्हें इनकम टैक्स के संदर्भ में कुल कितना फायदा होगा.

यह भी पढ़ें : इनकम टैक्स गाइड : HRA, यानी मकान किराया भत्ता पर मिलने वाली छूट कैसे कैल्कुलेट करें...

पीएफ कितना कटना चाहिए?
आमतौर पर किसी भी सरकारी या निजी नौकरी में कार्यरत व्यक्ति की तनख्वाह में बेसिक सैलरी का मद ज़रूर होता है. सो, बेसिक सैलरी (तथा सरकारी कर्मियों के संदर्भ में बेसिक और डीए, यानी महंगाई भत्ते का योग) का 12 फीसदी हिस्सा आपकी तनख्वाह, यानी वेतन में से पीएफ के तौर पर काटा जाता है. यह प्रतिशत उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनके कुल कर्मचारियों की संख्या 20 से ज़्यादा हो.

यह भी पढ़ें : अगर HRA छूट पाने के लिए मां-बाप को देते हैं किराया, तो हो जाइए सावधान...

आपके पीएफ खाते में कितनी रकम जमा हुई?
निजी नौकरियां करने वालों के वेतन में से पीएफ के मद में होने वाली कटौती की पूरी रकम पीएफ खाते में जमा होती ही है, नियोक्ता को भी ऐन उतनी ही रकम अपनी ओर से देनी पड़ती है, जिसमें से लगभग 30 फीसदी, यानी बेसिक सैलरी का 3.67 फीसदी हिस्सा आपके पीएफ खाते में जमा होता है, और शेष 8.33 फीसदी आपके पेंशन खाते में जमा होता है... इसके अलावा कर्मचारी निधि संबद्ध बीमा (ईडीएलआई) के लिए भी नियोक्ता बेसिक सैलरी के आधे फीसदी जितनी रकम जमा करवाता है, और पीएफ के प्रशासनिक खाते में भी उसे ईपीएफ और ईडीएलआई के लिए क्रमशः 1.10 फीसदी तथा 0.01 फीसदी जमा करना पड़ता है. यानी कर्मचारी के पीएफ और पेंशन खातों में कुल मिलाकर हर महीने उसकी बेसिक सैलरी का 24 फीसदी जमा होता ही है. केंद्र सरकार के मामले में सरकार कर्मचारी के सिर्फ ईपीएस खाते में 1.16 फीसदी रकम जमा करवाती है.


हर साल कितनी बचत हो रही है कर्मचारी के खाते में...?
इसके लिए सीधा-सा गणित है. कर्मचारी के ईपीएफ खाते में उसका और नियोक्ता का जो भी हिस्सा जमा होगा, उस पर उसे वित्तवर्ष 2019-20 तक सालाना 8.5 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाता है.

VIDEO: आधार कार्ड नंबर को पैन कार्ड से जोड़ने का तरीका



इनकम टैक्स में कितना फायदा होगा...?
पीएफ के मद में कर्मचारी की तनख्वाह से जो भी रकम कटती है, वह उसकी बचत मानी जाती है, और उसमें से 1,50,000 लाख रुपये तक की रकम करमुक्त, यानी टैक्सफ्री होती है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप इतनी तनख्वाह पाते हैं कि आपको 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स देना पड़ता है, तो आप पीएफ के मद में 1,50,000 रुपये तक की कटौती पर टैक्स (45,000) और सेस (1,800) मिलाकर 46,800 रुपये का इनकम टैक्स बचा सकते हैं.

NDTV Profit हिंदी
लेखकVivek Rastogi
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT