
प्रतीकात्मक तस्वीर
पहले सूखे से और अब ज्यादा बारिश की वजह से बुंदेलखंड के किसान आत्महत्या कर रहे हैं. कई साल से बुंदेलखंड में पड़ रहे सूखे के चलते किसान आत्महत्या कर रहे थे, लेकिन इस साल बेमौसम बारिश के चलते बुंदेलखंड में खरीफ की फसल चौपट हो गई. जिससे किसानों में घोर निराशा है. ऊपर से बैंक के एक के बाद एक कर्जे वसूली की नोटिस से परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं. हफ्तेभर पहले ललितपुर व जालौन जिले के दो किसानों ने आत्महत्या कर ली. अभी 14 अक्टूबर को कर्ज में डूबे किसान ने कीटनाशक दवा पीकर की आत्महत्या कर ली.
भाकियू (भानू) के नेता शिवनारायण सिंह ने बताया कि ललितपुर के किसान रतन सिंह अपने खेतों पर गए थे और जब शाम को घर लौटा तो उसने अपनी पत्नी से कहा कि भयंकर बारिश होने से अपनी पूरी फसल नष्ट हो गयी है. अब कर्ज कैसे चुकायेंगे जब घर वाले रात को सो गये थे, तब किसान रतन सिहं ने कीटनाशक दवा पीली और जब चीख पुकार की आवाज सुनी तो तुरंत घर वाले जिला चिकित्ससालय ललितपुर ले गये. यहां डाक्टरों ने हालत ख़राब देख झांसी रिफर कर दिया लेकिन तब तक किसान ने दम तोड़ दिया. रतन सिंह पर बैंक का करीब 10 लाख रुपए का कर्ज था.
इसी तरह 12 अक्तूबर को जालौन के जमरेही गांव के किसान राजा भय्या ने आत्महत्या कर ली. किसान राजा भइया ने 2010 में 60 हजार का कर्ज लिया था जो बढ़कर 2लाख 4 हजार हो गया है. बैंक ने जब नोटिस भेजा तो किसान ने आत्महत्या कर लिया. अब किसान नेताओं ने मांग की है कि बैंक कर्ज अदायगी की नोटिस न भेजे. फसल खराब होने से परेशान किसानों को ये नोटिस और परेशानी में डाल देते हैं.
(आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है. अगर आपको सहारे की जरूरत है या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जिसे मदद की दरकार है तो कृपया अपने नजदीकी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाएं.)
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