
गोमती रिवर फ्रंट परियोजना की शुरुआत अखिलेश यादव के शासनकाल में शुरू हुई थी.
सीबीआई ने लखनऊ में 1,500 करोड़ रुपये कीगोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना में कथित अनियिमतताओं की जांच अपने हाथ में ले ली है. उसने आठ इंजीनियरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने गोमती रिवर सौंदर्यीकरण परियोजना की जांच शुरू की थी. गोमती रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण का काम समाजवादी पार्टी सरकार के समय हुआ था.
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आदित्यनाथ सरकार इस मामले का सीबीआई को सौंपना चाहते थे. जांच एजेंसी ने कल जांच संभाल ली है. राज्य सरकार ने ‘गोमती रिवर चैनेलाइजिंग’ परियोजना और गोमती रिवर फ्रंट विकास योजना के क्रियान्वयन में ‘आपराधिक इरादे’ के साथ बरती गई अनियमितताओं की जांच के लिए कहा था. ये विकास परियोजनाएं राज्य के सिंचाई विभाग द्वारा क्रियान्वित की गई थीं. सीबीआई ने मुख्य इंजीनियरों गुलेश चंद्र, एस एन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन इंजीनियर मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव और कार्यकारी इंजीनियर सुरेंद्र यादव के खिलाफ प्राथिमकी दर्ज की है. अधिकारियों ने बताया कि गुलेश चंद्र, शिव मंगल यादव, अखिल रमन और रूप सिंह यादव अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
वीडियो : गोमती रिवर फ्रंट का खुद जायजा लेने पहुंचे थे सीएम योगी
राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधशीश आलोक कुमार सिंह के तहत समिति का गठन किया था. इस समिति ने 16 मई, 2017 की तिथि वाली अपनी रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया अनियमितताओं का संकेत दिया था. उत्तर प्रदेश पुलिस ने रिपोर्ट के आधार पर 19 जून को मामला दर्ज किया था. केंद्र सरकार ने 24 नवंबर, 2017 को इस मामले को सीबीआई को सौंपा था. प्रक्रिया के अनुसार एजेंसी ने गोमती नगर थाने में प्राथमिकी फिर से दर्ज की.
इनपुट : भाषा