कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों की जान गंवाने की घटना के बाद हर कोई सकते में है. पुलिस की करीब 100 टीमें उसकी तलाश कर रही हैं लेकिन अभी तक उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है. इस मामले में पुलिस विभाग की ही कुछ लोगों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है. क्योंकि कल पकड़े गए विकास दुबे के सहयोगी और स्थानीय अपराधी ने बताया है कि विकास दुबे को भनक लग गई थी कि उसके घर पुलिस आ रही है और ये जानकारी उसे थाने से ही दी गई थी. इस पूरी घटना में एनडीटीवी से बातचीत में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एक जैन का कहना है कि स्थानीय पुलिस और खुफिया विभाग पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है. उसको इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई है कि विकास दुबे ने इतनी बड़ी साजिश और गोला-बारूद उठा रखा है.
जब एके जैन से पूछा गया कि जब पुलिस की टीम ने इतने बड़े अपराधी को पकड़ने जा रही है तो क्या मानदंडों का पालन नहीं किया गया है, तो उनका कहना था कि जब किसी स्थानीय बदमाश को पकड़ने जाते हैं तो अक्सर हम बिना बुलेटप्रूफ जैकेट के ही चले जाते हैं. पुलिस से चूक जरूर हुई है पर किसी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि स्थानीय अपराधी ऐसी घटना को अंजाम दे देगा. उन्होंने कहा कि इस अपराधी को प्रश्रय मिलता रहा है. इसमें थाना और पुलिस की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पुलिस की छवि बहुत खराब हुई है और आघात पहुंचा है. एके जैन ने कहा कि अगर इसमें सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो पुलिस का मनोबल गिरेगा और माफियाओं का मनोबल बढ़ जाएगा.
पूर्व डीजीपी ने कहा कि अगर ये इतना बड़ा अपराधी था तो इसे पुलिस के रिकॉर्ड में टॉप-5 और टॉप-10 की लिस्ट में होना चाहिए था. इसकी वक्त-बेवक्त तलाशी होनी चाहिए थी. लेकिन यह साफ है कि इन मानदंडों को पालन नहीं किया गया जिससे ये भष्मासुर बन गया और इतने बड़े कांड को अंजाम दे दिया.