प्रयाग में इस बार अर्धकुंभ है लेकिन यह चुनावी साल है लिहाजा सरकार ने इसे कुंभ का नाम दिया और दिव्य कुंभ को भव्य बनाने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ रखी है. यह अलग बात है कि किस जमीन पर कितना दिव्य है यह तो जनता ही बताएगी लेकिन फिलहाल स्नान करने वाले मकर संक्रांति की भीड़ पर प्रशासन के आंकड़ों की बाजीगरी की दिव्यता जरूर दिखाई पड़ी. मकर संक्रांति के स्नान के बाद तकरीबन शाम 5:00 बजे मेला प्रशासन ने प्रेस कान्फ्रेंस किया और संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या बताई. बताया कि 14 जनवरी को 56 लाख से अधिक और 15 जनवरी को एक करोड़ 40 लाख लोग यानी कुल 2 करोड़ से अधिक लोगों ने कुम्भ में स्नान किया. मेला प्रशासन के इस दावे में कहा गया कि यह मोटा मोटा अनुमान है. इस आंकड़े से वहां मौजूद सभी पत्रकार चौंक उठे और बड़े व्यंग्यात्मक लहजे में बोले कि अभी कुछ और मोटा होगा या इतना ही रहेगा, "2 करोड़ को अधिकृत माना जाये, अभी और आंकड़े आयेंगे कि इसे फाइनल माना जाये, अभी बढ़ गया तो मौनी अमावस्या में भी बढ़ जायेगा.''
पत्रकारों के इस व्यंगात्मक अंदाज़ से मेला अधिकारियों पर तो कोई असर नहीं हुआ लेकिन वहां मौजूद जितने पत्रकार थे वह सब इस आंकड़ेबाजी से इत्तेफाक नहीं रख रहे थे और वह पत्रकार भी इत्तेफाक नहीं रख रहे थे जो तीन दशकों से इलाहाबाद में पत्रकारिता कर रहे हैं. इन्हीं में एक सुरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, "मेला प्रशासन जो कह रहा है कि 2 करोड़ लोगों ने स्नान किया ये किसी के गले नहीं उतरेगा. सवा दो करोड़ स्नान करा देना लगता है कि दिव्य कुम्भ है. अब बात दूसरी है कि 33 करोड़ देवता भी जोड़ लें तो बहुत हो सकता है दृश्य और अदृश्य. मेरा मानना है कि दृश्य तो नहीं हो सकता.'
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पिछले कुंभ में पहली बार सांख्यिकी के पॉलिनामियल विधि से भीड़ के आने का अनुमान लगाने का दवा किया गया था. लेकिन इससे इतर एक सामन्य विधि से सांख्यकी के जानकार बताते हैं कि एक आदमी को स्नान करने के लिये प्वॉइंट 25 स्कवायर मीटर की जगह चाहिये. उसे नहाने में 15 मिनट का वक्त लगेगा. ऐसे में एक घंटे में 12 हज़ार 500 लोग स्नान कर सकते हैं. अगर 18 घंटे लगातार स्नान चलेगा तो 2 लाख 25 हज़ार लोग ही स्नान कर सकते हैं. कुंभ क्षेत्र में तकरीबन 35 घाट ही बनाये गए हैं; इन घाटों में कितनी भीड़ स्नान कर रही इसकी कोई सटीक विधि मेला प्रशासन के पास नहीं है. यह बात अपर मेला अधिकारी दिलीप कुमार त्रिगुनायक की बातों से स्पष्ट होती है जो कहते हैं, "हमारे यहां जो घाट हैं, स्नान जितने लोग करते हैं आधे घंटे से एक घंटे, इस तरह का एक आकलन होता है. फोटोग्राफ़ी या वीडियोग्राफ़ी से किया जाता है. इसका अभी कोई डिजिटल उस तरह की मैपिंग नहीं है कि इस तरह का आंकड़ा बताया जाए.''
इस आंकड़े की और हक़ीक़त जानने के लिये NDTV की टीम शहर के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन का जायज़ा लिया तो वहां भीड़ का नामोनिशान नहीं था. रेलवे स्टेशन पर भीड़ तो नज़र नहीं आई पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिये स्टेशन के पास बैरियर ज़रूर बंद मिले जिससे यात्री परेशान होते नज़र आये. इलाहबाद स्टेशन पर हरियाणा से आये रमेश मित्तल और उनके साथी ट्रेन के इंतज़ार में बैठे नज़र आये जो बनारस और विंध्याचल घूम कर कुंभ में डुबकी लगाने पहुंचे थे. इनसे जब हमने भीड़ के बारे में पूछा तो इनका अनुमान प्रशासन से अलग था. रमेश मित्तल (ज़िंद हरियाणा निवासी) ने कहा, 'अनुमान लगभग 20 लाख के आस पास रहा होगा, क्योंकि सुबह का जो टाइम था शाही स्नान का उस वक्त भीड़ बहुत थी. हर तरफ सर ही सर थे लेकिन अब जब लौट रहे हैं तो भीड़ इतनी नहीं है. अभी प्रशासन से ये भी विनति है कि भीड़ को देखते हुए उन्हें रास्ते थोड़े खोलने चाहिए थे.'
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2 करोड़ लोगों को लाने ले जाने के लिये उतने ही बड़े पैमाने पर ट्रांसपोटेशन की भी ज़रुरत पड़ेगी. रेल विभाग ने 37 मेला स्पेशल ट्रेनें चलाई थीं इसमें 200 रेगुलर ट्रेनें भी जोड़ दें और साथ में 500 मेला स्पेशल बस, लोगों के प्राइवेट वाहन के आंकड़े को भी मिला लें तो भी इतने लोग 50 लाख की आबादी वाले प्रयागराज शहर में नहीं आ सकते. इससे साफ़ है कि कुंभ में डुबकी लगाने के आंकड़ों की बाजीगरी से उसे हकीकत की जमीन पर नहीं उतारा जा सकता.
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