तालिबान को लेकर सुरक्षा परिषद में उभरे मतभेद, भारत की अध्यक्षता में आए प्रस्ताव पर चीन-रूस को ऐतराज

रूस और चीन का मानना था कि आईएसआईएस और चीन में सक्रिय उइघुर ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट का नाम भी प्रस्ताव में डाला जाए. हालांकि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत तमाम देश किसी विशिष्ट आतंकी संगठन का नाम इसमें उल्लेखित करने के इच्छुक नहीं थे.

तालिबान को लेकर सुरक्षा परिषद में उभरे मतभेद, भारत की अध्यक्षता में आए प्रस्ताव पर चीन-रूस को ऐतराज

UNSC की अध्यक्षता कर रहा है भारत, तालिबान के खिलाफ आया प्रस्ताव (प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan)  की सरजमीं का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवाद फैलाने में इस्तेमाल न होने देने की भारत की मुहिम रंग लाती दिख रही है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council Resolution) में मंगलवार को भारत की अध्यक्षता में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसको लेकर स्थायी सदस्यों के बीच तीखे मतभेद उभरे. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस एक पाले में तो चीन और रूस दूसरे खेमें में नजर आए. हालांकि तालिबान (Taliban) के प्रति झुकाव रखने वाले चीन या रूस ने प्रस्ताव (UNSC Resolution 2593) पर वीटो नहीं किया और उनकी गैरहाजिरी में यह प्रस्ताव पारित हो गया. भारत सरकार ने कहा है कि अफगानिस्तान को लेकर उसकी चिंताओं से जुड़ा प्रस्ताव पारित होना संतुष्टि की बात है. 

प्रस्ताव में कहा गया है कि तालिबान अफगानिस्तान की जमीन पर किसी आतंकी संगठन को फलने-फूलने न देने की अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरे. इसमें तालिबान से देश छोड़ने की चाह रखने वाले अफगान नागरिकों की मदद करने की अपील भी की गई. इस प्रस्ताव को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य अधिकारियों के बीच अफगानिस्तान के मसले पर सहयोग की नई सफलता माना जा रहा है.

खबरों के मुताबिक, रूस और चीन का मानना था कि आईएसआईएस और चीन में सक्रिय उइघुर ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट का नाम भी प्रस्ताव में डाला जाए. हालांकि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत तमाम देश किसी विशिष्ट आतंकी संगठन का नाम इसमें उल्लेखित करने के इच्छुक नहीं थे. रूस औऱ चीन ने बेहद कम समय में प्रस्ताव पारित कराने को लेकर भी ऐतराज जताया.

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रूस ने आरोप लगाया कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश 20 साल अफगानिस्तान में रहने के बावजूद अपनी नाकाम को छिपाने और जिम्मेदारी दूसरों पर डालने का प्रयास कर रहे हैं. रूस ने अफगानिस्तान के वित्तीय संपत्तियों को जब्त करने की किसी भी प्रयास का भी विरोध किया. चीन का आरोप था कि यह प्रस्ताव जबरन लाया जा रहा है. फिर भी उसने वीटो करने की हिम्मत नहीं दिखाई.