ब्रिटेन और फ्रांस के बीच मछली पकड़ने के अधिकारों को लेकर छिड़ा विवाद

ब्रिटेन और फ्रांस ने एक-दूसरे पर ब्रेग्जिट के बाद के व्यापार समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.मछली पकड़ने के अधिकारों पर छिड़े विवाद के कारण दोनों देशों के मछली कारोबार पर खासा असर पड़ रहा है.

ब्रिटेन और फ्रांस के बीच मछली पकड़ने के अधिकारों को लेकर छिड़ा विवाद

ब्रिटेन और फ्रांस के बीच मछली पकड़ने के अधिकारों पर विवाद छिड़ा है. फाइल फोटो

लंदन:

ब्रिटेन और फ्रांस के बीच मछली पकड़ने के अधिकारों पर छिड़े विवाद के कारण दोनों देशों के मछली कारोबार पर खासा असर पड़ रहा है. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर ब्रेग्जिट के बाद के व्यापार समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. यह विवाद तब और भड़क गया जब फ्रांस के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि स्कॉटलैंड में पंजीकृत एक जहाज से मछली पकड़ी जा रही थी और जहाज के कप्तान को हिरासत में लिया गया.

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ब्रेक्सिट से पहले फ्रांसीसी मछुआरे ब्रिटिश जल सीमा में मछली पकड़ सकते थे, लेकिन अब उन्हें कुछ क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिए ब्रिटिश सरकार से एक विशेष लाइसेंस लेने की जरूरत है, ऐसा में फ्रांस ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही ब्रिटेन की जल सीमा में ज्यादा से ज्यादा फ्रांसीसी जहाजों को मछली पकड़ने के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया तो फ्रांस अपने कुछ बंदरगाहों से ब्रिटिश नौकाओं को प्रतिबंधित करने और ब्रिटिश माल ले जाने वाले जहाजों और ट्रकों के जांच दायरा बढ़ा देगा. बदले में ब्रिटेन ने भी ऐसे ही कदम उठाने की बात कही है.

फ्रांसीसी मछुआरों का कहना है कि फ्रांसीसी पानी खत्म हो गया है अब वहां मछली नहीं बची हैं. मत्स्य पालन आर्थिक रूप से एक छोटा उद्योग है, लेकिन यह ब्रिटेन और फ्रांस दोनों के लिए प्रतीकात्मक रूप से बड़ा है, जिसकी लंबी और पोषित समुद्री परंपराएं हैं. पेरिस का कहना है कि कई जहाजों को पानी के लिए परमिट से वंचित कर दिया गया है जहां वे लंबे समय से चल रहे हैं.

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ब्रिटेन का तर्क है कि उसने यूरोपीय संघ के 98% आवेदन को मंजूरी दी है और फ्रांस की महज कुछ दर्जन नौकाओं को लेकर विवाद है. ब्रिटेन का कहना है कि कागजी कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण ये कदम उठाए गए हैं.