यह ख़बर 01 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

विश्वकप 1996 की हार का बदला लेने उतरेगा भारत

खास बातें

  • दर्शकों ने इसके बाद मैदान पर बोतलें फेंकनी शुरू कर दी और स्टेडियम के एक हिस्से में बैठने के स्थान पर आग लगा दी थी जिसके बाद मैच रैफरी क्लाइव लाइड ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया।
मुंबई:

भारतीय क्रिकेट टीम आईसीसी विश्व कप के फाइनल में शनिवार को यहां जब श्रीलंका का सामना करेगा तो उसका लक्ष्य सिर्फ 28 बरस बाद ट्राफी जीतना ही नहीं होगा। टीम इंडिया की नजरें ईडन गार्डन्स पर 1996 प्रतियोगिता की बुरी यादें मिटाने पर भी टिकी होगी जब भारतीय टीम विश्व कप सेमीफाइनल मैच गंवाने वाली दुनिया की एकमात्र टीम बनी थी। भारत ने यह मैच श्रीलंका के खिलाफ ही गंवाया था। इस सेमीफाइनल मैच के बारे में सोचने पर अब भी नाराज प्रशंसकों और आंसुओं से भरे विनोद कांबली के चेहरे की याद जेहन में ताजा हो जाती है। भारतीय बल्लेबाजी के ढहने के बाद दर्शक अनियंत्रित हो गये और उनके बुरे बर्ताव के कारण मैच पूरा नहीं हो सका तथा इसे श्रीलंका के नाम कर दिया गया। भारतीय टीम 252 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय 98 रन पर एक विकेट गंवाकर अच्छी स्थिति में लेकिन सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद टीम का बल्लेबाजी क्रम ढह गया और उसका स्कोर आठ विकेट पर 120 रन हो गया। दर्शकों ने इसके बाद मैदान पर बोतलें फेंकनी शुरू कर दी और स्टेडियम के एक हिस्से में बैठने के स्थान पर आग लगा दी थी जिसके बाद मैच रैफरी क्लाइव लाइड ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया।


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