यह ख़बर 01 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

नामुमकिन नहीं 500 का जादुई आंकड़ा

खास बातें

  • तेंदुलकर अगर एकदिवसीय मैच की एक पारी में 200 रन बना सकते हैं तो फिर किसी टीम के लिए 500 रनों का जादुई आंकड़ा छूना कोई असंभव बात नहीं।
नई दिल्ली:

अपने करियर के अंतिम चरण में सचिन तेंदुलकर अगर एकदिवसीय मैच की एक पारी में 200 रन बना सकते हैं तो फिर किसी टीम के लिए 500 रनों का जादुई आंकड़ा छूना कोई असंभव बात नहीं। विश्व कप को लेकर माहौल गर्म है। इसलिए इसे ध्यान में रखकर चर्चा करना उचित रहेगा। 4 जुलाई, 2006 को एम्सटेलवीन में नीदरलैंड्स के खिलाफ श्रीलंका ने नौ विकेट पर 443 रन बनाकर 500 रनों के आंकड़े की ओर बड़ा कदम बढ़ाया था लेकिन विश्व कप में कोई भी टीम 413 रनों से आगे नहीं बढ़ सकी है। भारत ने 19 मार्च, 2007 में वेस्टइंडीज में खेले गए पिछले विश्व कप में बांग्लादेश और श्रीलंका से मिली हार की बौखलाहट में अपने ग्रुप की सबसे कमजोर टीम बरमुडा के खिलाफ पांच विकेट पर 413 रन बटोर लिए थे। इस मैच में वीरेंद्र सहवाग के बल्ले से 114 रन निकले थे जबकि सौरव गांगुली ने 89 और युवराज सिंह ने 46 गेंदों पर 83 रन बनाए थे। इसके अलावा कोई भी टीम विश्व कप में 400 रनों का आंकड़ा नहीं पार कर सकी है लेकिन चार साल के अंतराल के बाद क्रिकेट में जिस तरह का बदलाव आया है, उसे देखते हुए अब 500 रनों का आंकड़ा नामुमकिन नहीं कहा जा सकता। भारत, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका की टीमों में इस जादुई आंकड़े को छूने की क्षमता है। नीदललैंड्स के खिलाफ श्रीलंकाई बल्लेबाजों की बेरहम धुलाई से पहले एकदिवसीय मैचों का सर्वोच्च योग दक्षिण अफ्रीकी टीम के ही नाम था। उसने 12 मार्च, 2006 को आस्ट्रेलिया के खिलाफ जोहांसबर्ग में 438 रन बनाकर अंसभव सी जीत हासिल की थी। यह आस्ट्रेलिया की बदनसीबी ही थी कि वह 434 रन बनाकर भी हार गया था। दक्षिण अफ्रीका ने 2006 में ही जिम्बाब्वे के खिलाफ 418 रन बनाए थे। भारत एकमात्र ऐसी टीम है, जिसके नाम 400 रनों की तीन पारियां शामिल हैं। भारत ने बरमुडा के खिलाफ विश्व कप में 413 रन बनाने के अलावा 2009 में राजकोट में श्रीलंका के खिलाफ 414 रन बनाए थे। एकदिवसीय मैचों में यह उसका सर्वोच्च योग है। इसके अलावा भारत ने 2010 में ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन विकेट पर 401 रन बटोरे थे। एकदिवसीय मचों में कीवी टीम भी एक बार 400 रनों का आंकड़ा पार कर चुकी है। उसने 2008 में आयरलैंड के खिलाफ 402 रन बनाए थे। वर्ष 2006 में ट्वेंटी-20 क्रिकेट के उद्भव के बाद से क्रिकेट का मिजाज काफी हद तक बदल गया है। यह खेल पहले मिश्रित सफलताओं पर आधारित था लेकिन अब यह काफी हद तक बल्लेबाजों का खेल बनकर रह गया है। ऐसे में जबकि ट्वेंटी-20 में खुलकर हाथ दिखा रहे बल्लेबाज रन बटोरने के लिए पहले से अधिक आतुर नजर आ रहे हैं, विश्व कप के साथ-साथ एकदिवसीय मैचों में अब 500 रनों का आंकड़ा पार कर पाना मुश्किल लक्ष्य नहीं रह गया है।


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