एक ऐसी याचिका जिस पर सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा- हम भगवान नहीं

याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से देश में मच्छरों को खत्म करने के निर्देश देने की गुहार लगाई

एक ऐसी याचिका जिस पर सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा- हम भगवान नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने देश से मच्छरों को खत्म करने का निर्देश देने के लिए आई याचिका पर कहा- हम भगवान नहीं हैं.

खास बातें

  • कोर्ट ने कहा- ऐसा काम करने के लिए न कहें जो सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं
  • कहा- अदालत आखिर किसी अथॉरिटी को ऐसा आदेश कैसे दे सकती है?
  • याचिकाकर्ता का कहना था कि मच्छरों के कारण होती हैं कई बीमारियां
नई दिल्ली:

कई बार देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में ऐसे मामले आ जाते हैं कि कोर्ट को कहना पड़ता है कि वह भगवान नहीं है. ऐसे ही एक मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम भगवान नहीं हैं.

देश से मच्छरों को खत्म करने के निर्देश देने की गुहार संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा कि हम भगवान नहीं हैं. हमें ऐसा काम न करने के लिए कहा जाए जो सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं.

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दरअसल धनेश इशधन की ओर से दायर की गई याचिका में मांग की गई थी कि देश से मच्छरों का सफाया करने का निर्देश दिया जाए. याचिकाकर्ता ने मच्छरों को खत्म करने के लिए एकीकृत दिशानिर्देश बनाने की गुहार की. याचिकाकर्ता का कहना था कि मच्छरों के कारण कई बीमारियां होती हैं.

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जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आप हमें जो करने के लिए कह रहे हैं वह सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं और हम भगवान नहीं हैं. बेंच ने कहा कि हमें नहीं लगता कि इस बारे में कोई भी अदालत यह आदेश पारित कर सकती है. अदालत आखिर अथॉरिटी को इस तरह का आदेश कैसे दे सकती है कि वह देश से मच्छरों से मुक्त कर दे.

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बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हम सभी के घरों में नहीं जा सकते. हम यह नहीं कह सकते कि यहां मच्छर हैं, इन्हें हटाओ.


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