भारतीय-अमेरिकी विरल पटेल ने बनाया ड्रायर, जो पांच गुना कम बिजली खर्च में कपड़े सुखा डालेगा

अपने अल्ट्रासोनिक ड्रायर के बारे में नॉक्सविले न्यूज़ सेंटिनेल से बात करते हुए विरल पटेल ने बताया, "यह बिल्कुल नई सोच है... इसमें हमने कपड़ों में मौजूद नमी (पानी के कण) को भाप बनाकर उड़ाने के स्थान पर उसे तकनीकी तौर मशीन के ज़रिये कपड़े में से निकाला है..."

भारतीय-अमेरिकी विरल पटेल ने बनाया ड्रायर, जो पांच गुना कम बिजली खर्च में कपड़े सुखा डालेगा

भारतीय-अमेरिकी विरल पटेल द्वारा विकसित ड्रायर आधा वक्त लेता है, बल्कि बिजली भी पांच गुना कम खर्च करता है...

खास बातें

  • विरल पटेल ओक रिज नेशनल लैबोरेटरी में रिसर्च व डेवलपमेंट एसोसिएट हैं
  • उनकी टीम द्वारा विकसित किए गए ड्रायर को अल्ट्रासोनिक ड्रायर कहा जाता है
  • यह ड्रायर आधा वक्त लेता है, बल्कि बिजली पांच गुना कम खर्च करता है
ह्यूस्टन (अमेरिका):

सोचिए, आपको कहीं खास जगह सज-धजकर जाना हो, और बारिश का मौसम होने की वजह से आपके धुले हुए कपड़े सूखे ही न हों, तो कितना गुस्सा आता है... लेकिन अब अमेरिका के टेनेसी राज्य में स्थित ओक रिज नेशनल लैबोरेटरी के भारतीय-अमेरिकी रिसर्च व डेवलपमेंट एसेसिएट विरल पटेल और उनकी टीम ने एक ऐसा कपड़े सुखाने का यंत्र बना डाला है, जो बड़े से बड़े कपड़ों के ढेर को सुखाने में न सिर्फ ज़्यादातर मौजूदा ड्रायरों की तुलना में आधा वक्त लेता है, बल्कि बिजली की खपत भी लगभग पांच गुना कम होगी...

अपने अल्ट्रासोनिक ड्रायर के बारे में नॉक्सविले न्यूज़ सेंटिनेल से बात करते हुए विरल पटेल ने बताया, "यह बिल्कुल नई सोच है... इसमें हमने कपड़ों में मौजूद नमी (पानी के कण) को भाप बनाकर उड़ाने के स्थान पर उसे तकनीकी तौर मशीन के ज़रिये कपड़े में से निकाला है..."

विरल पटेल के मुताबिक, ज़्यादातर परंपरागत ड्रायर आमतौर पर सीधी-सी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं - आसपास की हवा को भीतर खींचा जाता है, और वह हीटर या गैस बर्नर से गुज़रती हुई गर्म होकर एक ड्रम में पहुंचती है, जहां कपड़ों को घुमाया जा रहा होता है, और तभी यह गर्मी कपड़ों में से नमी को खींच लेती है, और ड्रायर से बाहर निकल जाती है...

लेकिन विरल पटेल और उनकी टीम द्वारा विकसित किया गया अल्ट्रासोनिक ड्रायर नमी को खत्म करने के लिए पीज़ोइलेक्ट्रिक ट्रांसड्यूसरों का इस्तेमाल करता है - जब हाई फ्रीक्वेंसी की वोल्टेज ट्रांसड्यूसरों पर प्रवाहित की जाती है, उनमें होने वाले हाई फ्रीक्वेंसी के कंपन की वजह से कपड़ों में मौजूद पानी बिना गर्मी के ही कपड़ों से अलग हो जाता है... दरअसल, यह ड्रायर बेहद तेज़ गति से कपड़ों से हिला-हिलाकर पानी को निकालता है...

विरल पटेल ने बताया कि इस अल्ट्रासोनिक ड्रायर को व्यापारिक रूप से बेचे जाने के लिए जीई एप्लायन्सेज़ शोधकर्ताओं के साथ समझौता करने की प्रक्रिया में है...

विरल पटेल ने कहा, "हम ऐसी तकनीक विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें बिजली की खपत अत्याधुनिक ड्रायर से कम हो, या उनके जैसी हो, लेकिन लागत कम हो, ताकि इसे अमेरिकी बाज़ार में बेचा जा सके, क्योंकि अगर आप किसी बिग बॉक्स स्टोर में जाकर ड्रायर ढूंढते हैं, तो सबसे पहले ग्राहक कीमत ही देखते हैं, बिजली की खपत नहीं..."

ओक रिज नेशनल लैबोरेटरी के भारतीय-अमेरिकी रिसर्च व डेवलपमेंट एसेसिएट विरल पटेल ने कहा, "इस मामले में जीई के पास विशेषज्ञता है, हमारे पास नहीं..." उन्होंने यह भी कहा कि अल्ट्रासोनिक ड्रायर को बाज़ार में उपलब्ध करवाने में फिलहाल दो से पांच साल लग सकते हैं...

(इनपुट प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से)

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