यह ख़बर 12 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

शहीद की अंत्येष्टि में शामिल न होने पर मंत्री ने कहा, ‘क्या फर्क पड़ता है’

खास बातें

  • जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तानी सैनिकों की मदद से घात लगाकर घुसपैठियों द्वारा किए गए हमले में शहीद जवान प्रेमनाथ सिंह की अंत्येष्टि में अपने शामिल नहीं होने के बारे में बिहार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री गौतम सिंह ने कहा ‘क्या फर्क पड़ता है’।
पटना:

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तानी सैनिकों की मदद से घात लगाकर घुसपैठियों द्वारा किए गए हमले में शहीद जवान प्रेमनाथ सिंह की अंत्येष्टि में अपने शामिल नहीं होने के बारे में बिहार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री गौतम सिंह ने कहा ‘क्या फर्क पड़ता है’।

शहीद जवान प्रेमनाथ सिंह की अंत्येष्टि सारण जिला के मांझी थाना अंतर्गत उनके पैतृक गांव सम्हौता में गत आठ अगस्त को की गई थी।

शहीद जवानों को लेकर बिहार के दो मंत्रियों भीम सिंह और नरेंद्र सिंह द्वारा की गई टिप्पणी के बाद मांझी विधानसभा क्षेत्र से विधायक गौतम सिंह का शहीद जवान प्रेमनाथ सिंह की अंत्येष्टि में न शामिल होने के बारे में यह कहा जाना कि इससे क्या फर्क पड़ता है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

सेना की टुकड़ी सात दानापुर रेजिमेंट में 1972 से 1980 तक कार्यरत रहे गौतम सिंह ने यह स्वीकारा कि जब वह छपरा में थे तब प्रेमनाथ सिंह सहित बिहार के अन्य तीन जवानों के शहीद होने की सूचना उन्हें गत मंगलवार को मिली थी पर उन्हें एम्स में अपने भाई के इलाज के लिए दिल्ली जाना था और उसी रात्रि ट्रेन से वहां के लिए रवाना हो गए थे।

मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित जनता दरबार के दौरान संवाददाताओं से गौतम ने कहा कि दिल्ली से लौटने पर गत नौ अगस्त को वह शहीद जवान प्रेमनाथ सिंह और रघुनंदन सिंह के परिजनों से मुलाकात करने गए थे।

गौतम ने कहा कि उनके जाने के पूर्व इन शहीद जवानों के घर पर दो मंत्री नरेंद्र सिंह और अवधेश कुशवाहा गए थे।

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उल्लेखनीय है कि शहीद जवान प्रेमनाथ सिंह के गांव जाने पर मुख्यमंत्री के आने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने गौतम सिंह को करीब दो घंटों तक बंधक बनाए रखा था।