यह ख़बर 14 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

कालेधन की निकासी के लिए आममाफी योजना?

खास बातें

  • माना जा रहा है कि सीबीडीटी बिना हिसाब किताब वाले कालेधन की स्वैच्छिक घोषणा के लिए प्रोत्साहन स्वरुप आम माफी योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
नई दिल्ली:

विदेशों से कालेधन की वापसी के लिये सरकार एक आकषर्क आममाफी योजना ला सकती है। माना जा रहा है कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) बिना हिसाब किताब वाले कालेधन की स्वैच्छिक घोषणा के लिये प्रोत्साहन स्वरुप आम माफी योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है और सरकार को आय की स्वैच्छिक घोषणा योजना लाने का सुझाव दे सकता है। ऐसी ही एक योजना वर्ष 1996 में आई थी। योजना की घोषणा से विदेशों में रखे कालेधन को देश में लाकर उसका उत्पादक कार्यों में इस्तेमाल हो सकेगा। सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे ने हाल के दिनों में उस समय जोर पकड़ा जब कई प्रमुख उद्योगपतियों ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मुलाकात कर बातचीत में इस बात के लिये दबाव डाला था कि विदेशों में रखे बेहिसाब किताब धन को वापस लाने के लिये स्वैच्छिक घोषणा योजना लाई जानी चाहिये। विदेशों में रखा गया धन वापस आने से देश में आधारभूत परियोजनाओं में उसका इस्तेमाल हो सकेगा। इससे पहले कालेधन पर गठित एक विशेषज्ञ समूह ने भी सरकार को इसी तरह का सुझाव दिया था। सरकार को कर सूचना विनिमय संधि और दोहरे कराधान से बचने के समझौते के तहत नई सूचनायें प्राप्त होनी शुरु हुई हैं। इसके अलावा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के जरिये सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान का रास्ता भी खुला है। जानकार सूत्रों के अनुसार आम माफी योजना जो तैयार हो रही है उसमें धन के स्रोत के बारे में जानकारी नहीं देनी होगी लेकिन यदि धन आपराधिक गतिविधियों के जरिये हासिल किया गया है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कारवाई की जायेगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली कालेधन पर गठित समिति माफी योजना के प्रस्ताव पर इस महीने के अंत तक होने वाली बैठक में विचार विमर्श कर सकते हैं। इससे पहले भी कालेधन पर गठित विशेषज्ञ समूह ने विदेशों में रखे धन की स्वैच्छिक वापसी के लिये इस तरह की योजना लाने का सुझाव दिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, यूनान, इटली और पुतर्गाल सहित कई यूरोपीय देशों में कालेधन को वैध बनाने के लिये स्वैच्छिक घोषणा योजना लाई गई। सरकार ने विदेशों में रखे कालेधन का पता लगाने के लिये पिछले दो सालों में कई कदम उठाये हैं। आर्थिक सूचनाओं और बैंकों में रखे धन की जानकारी पाने के लिये 16 देशों के साथ कर सूचनाओं के आदान प्रदान समझौते और 18 देशों के साथ नई दोहरे कराधान से बचने के समझौते किये हैं इसके अलावा इस तरह की 21 देशों के साथ हुई मौजूदा संधि में नये प्रावधान जोड़ने पर फिर से बातचीत की जा रही है।


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