Chandra Grahan 2019: चंद्र ग्रहण शुभ है या अशुभ, जानिए विज्ञान और धर्म की नजर से

Chandra Grahan Time: चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा. यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा. भारत में अगला चंद्र ग्रहण 26 मई, 2021 को लगेगा. यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. 

Chandra Grahan 2019: चंद्र ग्रहण शुभ है या अशुभ, जानिए विज्ञान और धर्म की नजर से

Chandra Grahan, Lunar Eclipse: भारत में यह खगोलीय घटना देश के हर हिस्से से नजर आएगी.

खास बातें

  • आज रात आंशिक चंद्र ग्रहण लगेगा.
  • चंद्र ग्रहण को देश भर में देखा जा सकेगा.
  • भारत में अगला चंद्र ग्रहण 26 मई, 2021 को लगेगा.
नई दिल्ली:

Chandra Grahan July 2019: आज आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) लगेगा. यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा. भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण आज यानी 16 जुलाई (Chandra Grahan Time) की रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा और 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर समाप्‍त होगा. इस चंद्र ग्रहण के बाद सीधा 2021 में चंद्र ग्रहण लगेगा. यह आंशिक चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) सबसे स्पष्ट रूप से सुबह तीन बजे नजर आएगा. जब चंद्रमा का ज्यादातर हिस्सा ढक जाएगा. आज रात चंद्रमा का केवल एक हिस्सा धरती की छाया से गुजरेगा. बुधवार को सुबह 3:01 पर चंद्रमा का 65 प्रतिशत व्यास धरती की छाया के तहत होगा. आकाशीय गतिविधियों के दिलचस्पी रखने वालों को इस मौके को नहीं गंवाना चाहिए क्योंकि 2021 तक फिर ऐसा स्पष्ट रूप से दिखने वाला कोई चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) नहीं लगेगा. दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न हिस्सों में भी लोग यह नजारा देख पाएंगे. भारत में यह खगोलीय घटना (Chandra Grahan in India) देश के हर हिस्से से नजर आएगी. बता दें कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा द्वारा अपोलो 11 मिशन (Nasa Apollo Mission 11) की लॉन्चिंग की 50वीं सालगिरह है. इसी मिशन में चांद पर इंसान का पहला कदम रखे जाने में सफलता हासिल हुई.

विज्ञान की नजर से चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan Facts)
जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा के दौरान चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है. लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते. ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्‍वी के बीच के हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र (Umbra) कहते हैं. चांद के बाकी हिस्‍से में पृथ्‍वी के बाहरी हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्‍ब्र (Penumbra) कहते हैं. इस दौरान चांद के एक बड़े हिस्‍से में हमें पृथ्‍वी की छाया नजर आने लगती है.

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लाल दिखाई दे सकता है चांद 
इस चंद्र ग्रहण में चांद का रंग लाल होने की संभावना है. लाल रंग के चांद को "ब्लड मून" (Blood Moon) कहते हैं. स्लोह संस्थान के मुख्य खगोलशास्त्री पॉल कॉक्स का कहना है कि यह पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं है, लेकिन फिर भी हमें चांद के रंग में जादुई परिवर्तन देखने को मिल सकता है क्योंकि फुल बक मून (Full Buck Moon) का 65% पृथ्वी के अंब्र (Umbra) में प्रवेश करेगा. चंद्रमा के रंग की भविष्यवाणी करना मुश्किल है क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल की स्थिति इसे प्रभावित करती है, लेकिन हाल ही में ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण वातावरण में धूल उड़ रही है, हम 'हाफ ब्लड मून' की उम्मीद कर रहे हैं."

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क्या है फुल बक मून
जुलाई में पड़ने वाली पूर्णिमा यानी पूरे चांद को फुल बक मून (Full Buck Moon) कहा जाता है. 

धार्मिक मान्यता के अनुसार इसीलिए लगता है चंद्र ग्रहण
एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चला. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छीन लिया गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी.  क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है.

ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं
ज्योतिष शास्त्रियों का कहना है कि चंद्र ग्रहण का प्रभाव 108 दिनों तक रहता है. ऐसे में माना जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान जाप किया जाए तो इसके प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है. ग्रहण के दौरान दुर्गा सप्‍तशती कवच मंत्र का पाठ करने का विधान है. ग्रहण काल के दौरान घर से बाहर निकलना, भोजन करने और धार्मिक अनुष्‍ठान की मनाही है. ग्रहण के बाद स्‍नान के बाद गंगाजल से घर की शुद्धि की जाती है साथ ही दान-दक्षिणा देने का भी विधान है.ग्रहण काल को अशुभ माना गया है. सूतक की वजह से इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है. साथ ही लोग कई बातों का ध्यान रखते हैं. लोग सूतक एवं ग्रहणकाल में मूर्ति स्पर्श करना और अनावश्यक खाने-पीने से बचते हैं.

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