खास बातें
- देव आनंद ने इंदिरा गांधी, उनके पुत्र संजय गांधी और उस समय के कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का विरोध किया।
मुम्बई: हिंदी फिल्मों के सदाबहार अभिनेता देव आनंद बॉलीवुड के शायद पहले अभिनेता थे जिन्होंने औपचारिक तरीके से राजनीति में अपना भाग्य आजमाने की कोशिश की। राजनीति में उनका थोड़ा वक्त हालांकि अच्छा नहीं गुजरा लेकिन उन्होंने फिल्मी हस्तियों के लिए राजनीति में उतरने का रास्ता खोल दिया। ज्ञात हो कि इस सदाबहार अभिनेता का 88 वर्ष की अवस्था में दिल का दौरा पड़ने से रविवार तड़के लंदन में निधन हो गया। वर्ष 1977 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लागू करने के बाद देव आनंद ने राजनीति में उतरने और 'राजनीतिज्ञों को सबक सिखाने' का फैसला किया। देव आनंद ने नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया (एनपीआई) का गठन किया और इसके जरिए अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। एनपीआई के एक पदाधिकारी और देव आनंद के परिवार के एक करीबी मित्र ने बताया कि देव आनंद आपातकाल से नफरत करते थे। इस वजह से उन्होंने इंदिरा गांधी, उनके पुत्र संजय गांधी और उस समय के कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का विरोध किया। आपातकाल के बाद देव आनंद का नारा 'उनको सबक सिखाना है' बहुत ही प्रचलित हुआ था। इसके बावजूद यह तथ्य है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और यहां तक कि अटल बिहारी बाजपेयी सहित शीर्ष नेताओं के साथ देव आनंद के अच्छे सम्बंध रहे। राजनीति के प्रति देव आनंद का यह लगाव ही था कि उन्होंने अपनी आत्मकथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में अपनी अल्पकालीन राजनीतिक पारी के एक महत्वपूर्ण भाग को जगह दी है। आत्मकथा में देव आनंद ने 'इंदिरा भारत है, भारत इंदिरा है' के नारे को याद करते हुए संजय गांधी की तुलना एक 'बिगड़ैल युवा राजकुमार' से की। देव आनंद ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, "..मैं जानता हूं कि मैं संजय मंडली के लिए बुरा आदमी बन गया हूं।" वर्ष 1975-77 के आपातकाल के बारे में देव आनंद ने लिखा, "आपातकाल समर्थक लोगों ने चुनिंदा कानूनों के जरिए सरकारी कार्यालयों और आम जनता पर कठिन अनुशासन थोप दिए। इससे लोगों की आत्मा कराह रही थी और उसे लोहे के हाथ से दबा दिया गया था।" अपनी आत्मकथा में देव आनंद ने आपातकाल के दौर की कड़ी निंदा की है। राजनीति के क्षेत्र में वह दक्षिण के महानायक एमजी रामाचंद्रन से काफी प्रभावित हुए। रामाचंद्रन ने तमिलनाडु के लोगों के लिए काफी अच्छा काम किया था। एनपीआई की उद्घाटन रैली का आयोजन ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में हुआ था और इस रैली में मुख्यधारा की राजनीतिक दलों की रैलियों की तरह लोग जुटे थे। इस रैली को देव आनंद के अलावा बॉलीवुड के एफसी मेहरा और जीपी सिप्पी जैसे लोगों ने सम्बोधित किया। उन्होंने बताया कि देव आनंद का राजनीतिक जीवन हालांकि लम्बे समय तक नहीं चल सका। राजनीति की कटु वास्तविकताओं का सामना करना उनके लिए मुश्किल हो गया। राजनीति को अलविदा कहने के बाद भी देव आनंद सामाजिक सरोकारों से दूर नहीं हुए। वह नियमित रूप से सार्वजनिक समारोहों में जाते रहे। उन्होंने बाढ़, भूकम्प और दंगा पीड़ितों की मदद की और प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों के साथ खड़े हुए।