न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने साड़ी को बताया 'हिंदुओं की पोशाक', नाराज ट्विटर यूजर्स ने स‍िखाया सबक

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स साड़ी की महिमा, गरिमा और इतिहास से अंजान है. जी हां, इसमें छपे एक लेख में साड़ी को 'हिंदुओं का परिधान' बताया गया है.

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने साड़ी को बताया 'हिंदुओं की पोशाक', नाराज ट्विटर यूजर्स ने स‍िखाया सबक

साड़ी सिर्फ हिंदुओं का नहीं बल्‍कि भारतीय महिलाओं का पर‍िधान है

खास बातें

  • न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने साड़ी हिंदुुुुओं की पोशाक बताया है
  • ट्विटर पर इस लेख को लेकर लोगों ने आपत्ति जताई है
  • ट्विटर यूजर्स का कहना है क‍ि लेख में गलत तर्क दिए गए हैं
नई द‍िल्‍ली :

साड़ी को दुनिया के पुराने परिधानों में से एक माना जाता है और भारत में साड़ी को लेकर महिलाओं में विशेष लगाव है और इसे. हो भी क्‍यों न इसमें इतनी वैरायटी, कलर, डिजाइन और पैटर्न जो आते हैं. यही नहीं साड़ी में इतने एक्‍सपेरिमेंट किए जा सकते हैं जितने किसी और कपड़े के साथ मुमकिन ही नहीं है. और तो और इसे हर बार अलग स्‍टाइल में पहना जा सकता है. भारत के हर राज्‍य में इसे पहनने का तरीका भी अलग है. लेकिन लगता है कि दुनिया का मशहूर पब्‍लिकेशन न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स साड़ी की महिमा, गरिमा और इतिहास से अंजान है. जी हां, इसमें छपे एक लेख में साड़ी को 'हिंदुओं का परिधान' बताया गया है. हालांकि लेख में कहा गया है कि मई 2014 के बाद से साड़ी को काफी प्रमोट किया जा रहा है, लेकिन पीएम मोदी के चुनाव जीतने के बाद से बनारसी साड़ी बनाने वाले बुनकरों की समस्‍याओं की ओर ध्‍यान नहीं दिया गया है. 

दीपिका से सीखें, कैसे ग्रेस और स्टाइल के साथ पहनी जाती है साड़ी

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स के इस आर्टिकल से ट्विटर यूजर्स खासे नाराज हैं. उनका कहना है कि आर्टिकल बेहद खराब तरीके से लिखा गया है और उसमें गलत तर्क दिए गए हैं: 
 
1.

2.स्टाइलिश दिखने की है चाहत, तो अब नए अंदाज में कुछ यूं पहनें साड़ी

3.4.औरतों से बेहतर साड़ी बांध सकते हैं मर्द सेल्समैन

5.6.VIDEO: साड़ी बांधने का झंझट खत्म

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