अगर मार्क ज़ुकरबर्ग नौकरी ढूंढने निकले, तो कैसा होगा उनका बायोडाटा...

अगर मार्क ज़ुकरबर्ग नौकरी ढूंढने निकले, तो कैसा होगा उनका बायोडाटा...

आबादी के लिहाज़ से दुनिया के 'सबसे बड़े मुल्कों' की फेहरिस्त में शामिल की जा चुकी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक (Facebook) के सह-संस्थापक, चेयरमैन और सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) को एक काम शायद कभी नहीं करना पड़ेगा, जो उनकी उम्र के हर शख्स को करना ही पड़ता है, यानी उन्हें कभी भी अपना बायोडाटा (Biodata) या रिज़्यूम (Resume) या सीवी (Curriculum Vitae) नहीं बनाना पड़ेगा, जो नौकरी तलाश करने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण काम है।

वैसे यह तथ्य सभी जानते हैं, लेकिन फिर भी सोचकर देखें कि अगर मार्क को किसी भी अन्य युवक की तरह अपना सीवी बनाना पड़ता तो वह कैसा बनाया जाता। क्या फेसबुक की स्थापना से पहले भी मार्क का सीवी इतना होता कि उन्हें कोई नौकरी दे देता...?

इस सवाल का जवाब पाने की कोशिश की है Blog.EnhanCV.com नामक वेबसाइट ने, जिसने मार्क की छात्र जीवन से लेकर दुनिया के सबसे कम उम्र के अरबपति बनने की यात्रा को एक बढ़िया सीवी के रूप में पेश किया है।

Blog.EnhanCV.com के मुताबिक, मार्क की दिल लुभा लेने वाली कहानी वर्ष 1984 में न्यूयार्क के व्हाइट प्लेन्स इलाके में शुरू हुई। '90 के दशक में उनके पिता ने उन्हें अटारी बेसिक प्रोग्रामिंग (Atari BASIC Programming) सिखा दी, और उसके बाद मार्क को पढ़ाने के एक सॉफ्टवेयर डेवलपर को प्राइवेट ट्यूटर के तौर पर रखा गया। मार्क ने इसी विषय में अपने घर के निकट मर्सी कॉलेज (Mercy College) से स्नातक कोर्स किया, जबकि वैसे वह हाईस्कूल में ही पढ़ रहा था।

मार्क के पिता दांतों के डॉक्टर थे, सो उनकी मदद के उद्देश्य से 1996 में मार्क ने एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम 'ज़ुकनेट' (ZuckNet) बनाया, जिसके जरिये घर और पिता के डेंटल ऑफिस में मौजूद सभी कम्प्यूटरों के बीच सीधा संपर्क साधा जा सके। आज 'ज़ुकनेट' को ही एओएल (AOL) के इन्स्टेन्ट मैसेंजर का शुरुआती संस्करण माना जाता है, जो दरअसल 'ज़ुकनेट' बनने के अगले साल लॉन्च किया गया था।

Blog.EnhanCV.com पर लिखी गई कहानी के अनुसार, मार्क ने कॉलेज के दौरान कई विवादास्पद हरकतें की थीं, जिनमें से एक था 'फेसमैश' (Facemash) ऐप का निर्माण, जिसमें यूज़रों को बताना होता था कि कौन 'हॉट' है, कौन 'हॉट नहीं'। इस वेबसाइट को कॉलेज प्रशासन ने अनैतिक और लिंगभेदी माना, लेकिन इसके बावजूद यह बहुत तेज़ी से वायरल हो गई थी। कुछ लोग 'फेसमैश' को सबसे ज़्यादा लोकप्रिय डेटिंग ऐप 'टिन्डर' का पूर्ववर्ती मानते हैं।

Blog.EnhanCV.com का कहना है कि फेसबुक से पहले भी मार्क का सीवी काफी प्रभावशाली है, लेकिन वह डेवलपर कम, नए-नए बिज़नेस आइडिया लेकर घूम रहा उद्यमी ज़्यादा लगता है। बहुत कम लोग यह तथ्य जानते हैं कि उसने हार्वर्ड में साइकोलॉजी में मेजर किया था, कम्प्यूटर साइंस में नहीं।

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सो, अब हम आपसे पूछते हैं - अगर आप किसी कंपनी के मालिक होते तो इस सीवी पर निगाह डालने के बाद मार्क ज़ुकरबर्ग को नौकरी पर रखते या नहीं... या नौकरी छोड़िए, इंटरव्यू के लिए भी कॉल करते या नहीं...?