यह ख़बर 17 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'लोगों को गुमराह कर रही हैं पूनम पांडेय'

खास बातें

  • कानूनी विशेषज्ञों की राय में मॉडल पूनम पांडेय का भारतीय क्रिकेट टीम के विश्व कप जीतने पर निर्वस्त्र होकर जश्न मनाने के लिए बीसीसीआई से अनुमति मांगना लोगों को गुमराह करने से अधिक कुछ नहीं है।
New Delhi:

कानूनी विशेषज्ञों की राय में मॉडल पूनम पांडेय का भारतीय क्रिकेट टीम के विश्व कप जीतने पर निर्वस्त्र होकर जश्न मनाने के लिए बीसीसीआई से अनुमति मांगना लोगों को गुमराह करने से अधिक कुछ नहीं। सार्वजनिक स्थल पर कपड़े उतारकर जश्न मनाना अश्लीलता की श्रेणी में आता है, जो अपराध है और बीसीसीआई या अन्य व्यक्ति को अपराध के लिए अनुमति देने की इजाजत नहीं है। विश्व कप फाइनल से पहले पूनम ने कहा था कि वह टीम इंडिया की जीत पर कपड़े उतारकर जश्न मनाएंगी और वह अब भी इस बयान पर कायम हैं। यह मॉडल साथ ही कह रही है कि वह ऐसा करने के लिए बीसीसीआई से अनुमति का इंतजार कर रही है। उसका कहना है कि वह स्टेडियम, खिलाड़ियों के ड्रेसिंग रूम या अन्य किसी भी जगह अपना वादा पूरा करने के लिए तैयार हैं। कानूनी विशेषज्ञ और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता डॉक्टर विजेंद्र महंदियान का कहना है कि पूनम का यह कहना कि वह अपने कृत्य के लिए अनुमति का इंतजार कर रही हैं। यह लोगों को गुमराह करने के अलावा कुछ नहीं है। महंदियान ने बताया, कपड़े उतारकर जश्न मनाना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (सार्वजनिक स्थल पर अश्लील कृत्य करना) के तहत अपराध की श्रेणी में आ सकता है और कोई किसी दूसरे को अपराध करने की अनुमति नहीं दे सकता, चाहे वह बीसीसीआई हो या कोई और। आईपीसी की धारा-294 के अनुसार, सार्वजनिक स्थल पर अश्लीलता फैलाने पर अधिकतम तीन महीने के कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है। महंदियान ने कहा, पूनम का इरादा और बयान दोनों लोगों को अश्लीलता के लिए उकसा सकते हैं, जो भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है। खबरों के मुताबिक, पूनम हालांकि अपना यह वादा पूरा करने के लिए एक बार बीसीसीआई को पत्र लिख चुकी हैं, लेकिन क्रिकेट बोर्ड ने उनकी यह मांग खारिज कर दी। वह अब भी बीसीसीआई से अनुमति की इंतजार कर रही हैं। केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके और अधिवक्ता जगदीप धनखड़ का कहना है कि किसी अपराध की अनुमति देना बीसीसीआई के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। उन्होंने कहा, बीसीसीआई या कोई भी अपराध की अनुमति नहीं दे सकता, क्योंकि कोई भी कानून से बढ़कर नहीं है। अगर ऐसा होता है, तो पुलिस प्रशासन इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकता है। धनखड़ ने कहा, ऐसे बयान देना या यह काम करना सामाजिक रूप से तो गलत है और किसी को भी ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। एक अन्य विधि विशेषज्ञ कमलेश जैन का कहना है कि पूनम के बयान भड़काऊ की श्रेणी में आते हैं और कोई भी व्यक्ति पुलिस में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है। कमलेश ने कहा, भड़काऊ बयान देने की अनुमति किसी को नहीं है। कोई भी व्यक्ति इसके लिए पुलिस के पास शिकायत दर्ज करा सकता है और ऐसे में पूनम को जमानत करानी पड़ सकती है, क्योंकि यह जमानती अपराध है। उन्होंने कहा, इस तरह के बयानों को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि युवा पीढी पर इसका सीधा असर हो सकता है। वे सोच सकते हैं कि लोकप्रियता और काम पाने के लिए यह सही रास्ता है।


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