यह ख़बर 11 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'हकीम कहे तो ही कराएं गर्भपात'

खास बातें

  • गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल के पहले हकीम से पूछने का फतवा देने के बाद दारुल उलूम देवबंद ने अब गर्भपात कराने के पहले भी हकीम से सलाह लेने की बात कही है।
New Delhi:

गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल के पहले हकीम से पूछने का फतवा देने के बाद दारुल उलूम देवबंद ने अब गर्भपात कराने के पहले भी हकीम या किसी पवित्र मुस्लिम चिकित्सक से सलाह लेने की बात कही है। देवबंद ने गर्भ में पल रहे तीन महीने से ज्यादा के भ्रूण का गर्भपात कराने को हराम भी बताया है। देवबंद ने हलाल और हराम संबंधी फतवों की श्रेणी में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह फतवा दिया है। मुस्लिम संस्थान से पूछा गया है, हमारे दो बच्चे हैं। हमारा छोटा बच्चा लगभग 11 महीने का है। मेरी पत्नी एक बार फिर से गर्भवती है। चिकित्सक ने उसकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए उसे अगले बच्चे के लिए लगभग 30 महीने का इंतजार करने को कहा है, इसलिए वह गर्भपात कराना चाहती है। क्या गर्भपात की इजाजत है? इसके जवाब में फतवा दिया गया है, अगर कोई पवित्र मुस्लिम चिकित्सक यह कहे कि महिला गर्भावस्था और प्रसव का दर्द सहन करने में सक्षम नहीं है, तो तीन महीने से कम के भ्रूण का गर्भपात कराया जा सकता है, लेकिन अगर भ्रूण तीन महीने से ज्यादा का हो, तो गर्भपात कराना पूरी तरह हराम है। हालांकि चिकित्सकों की दृष्टि में देवबंद का यह फतवा भी अनुचित है। चिकित्सकों का मानना है कि अगर कोई प्रशिक्षित चिकित्सक गर्भपात की सलाह देता है तो वह महिला की हालत देखकर ही इसके बारे में कहता है, जबकि नीम-हकीम किसी महिला की हालत का बेहतर तरीके से अदांजा नहीं लगा सकते।


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