यह ख़बर 14 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

राजभाषा हिन्दी का मज़ाक बना रही हैं सरकारी वेबसाइट...

खास बातें

  • राजभाषा हिन्दी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों व संस्थानों के साथ-साथ संसद की वेबसाइटों के एक व्यापक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि वास्तव में सरकार को हिन्दी की कतई परवाह नहीं है।
नई दिल्ली:

राजभाषा हिन्दी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों व संस्थानों के साथ-साथ संसद की वेबसाइटों के एक व्यापक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि वास्तव में सरकार को हिन्दी की कतई परवाह नहीं है, क्योंकि भारत सरकार की इन वेबसाइटों पर हिन्दी की घोर उपेक्षा साफ दिखाई देती है।

सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों में मौजूद सामग्री के आधार पर यह दावा किया गया है कि हिन्दीभाषियों के लिए एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट नहीं हैं। अंग्रेजी वेबसाइटों के मुकाबले हिन्दी की वेबसाइट कहीं नहीं टिकती हैं। हिन्दी के नाम पर जो वेबसाइट मौजूद हैं, वे भी भाषागत अशुद्धियों से भरी पड़ी हैं।

इन वेबसाइटों पर हिन्दी के नाम पर अधिकतर अंग्रेजी का देवनागरीकरण ही मिलता है। अव्वल तो हिन्दी की वेबसाइटें खुलती ही नहीं है, और बहुत मुश्किल से अगर कोई वेबसाइट खुल भी जाती है, तो ज्यादातर में अंग्रेजी की ही सामग्री मिलती है।

रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट का हिन्दी रूपांतरण करने के लिए अलग वेबसाइट बनाने के स्थान पर उसे सिर्फ गूगल ट्रांसलेशन से जोड़ दिया गया है, जिसने काफी गलत और हास्यास्पद अनुवाद किया है। उदाहरण के तौर पर रक्षा मंत्रालय की तथाकथित हिन्दी वेबसाइट में रक्षामंत्री को मंत्रालय का 'सिर' बताया गया है, क्योंकि अंग्रेज़ी में उन्हें 'Head of the Defence Ministry' लिखा गया है।

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यह सर्वेक्षण मीडिया स्टडीज ग्रुप ने किया, जिसके लिए उन्होंने 8-13 सितंबर, 2012 के बीच वेबसाइटों से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए।