यह ख़बर 20 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सरकार को पहले से थी 'गीता पर बैन' मुहिम की जानकारी

खास बातें

  • रूस में गीता को 'उग्रवादी साहित्य' बताकर इस पर प्रतिबंध लगाने की मुहिम की जानकारी केंद्र सरकार को पहले से थी।
नई दिल्ली:

रूस में गीता को 'उग्रवादी साहित्य' बताकर इस पर प्रतिबंध लगाने की मुहिम की जानकारी केंद्र सरकार को पहले से थी। प्रधानमंत्री कार्यालय को एक नवम्बर को लिखे पत्र में जानकारी दी गई थी कि रूस की एक अदालत में यह मामला विचाराधीन है। लेकिन इस दिशा में बहुत कम कार्रवाई की गई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव पुलोक चटर्जी को लिखे पत्र में श्रीकृष्ण के अनुयायियों ने सरकार से अनुरोध किया था कि वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा से पहले मंत्रियों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को रूस के दौरे पर भेजे, ताकि इस पवित्र ग्रंथ पर प्रतिबंध की कोशिशों को रोका जा सके। यह मामला साइबेरिया के तामस्क शहर की अदालत में है और इस पर फैसला अब 28 दिसम्बर को आना है। इस्कॉन की प्रशासकीय इकाई के आयुक्त गोपाल कृष्ण गोस्वामी की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है, "हमें आपको यह सूचित करते हुए दु:ख हो रहा है कि 30 जून, 2011 को तामस्क में राज्य अभियोजक कार्यालय की ओर से भगवद् गीता पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अदालत में मामला दर्ज किया गया है, जिसका अनुवाद इस्कॉन के संस्थापक एसी भक्तिवेद स्वामी प्रभुपाद ने किया है।" पत्र में आगे लिखा गया है, "हलफनामे में विशेषज्ञों की एक समिति के निरीक्षण का हवाला देते हुए कहा गया है कि कृष्ण बुराई हैं और इसाई दृष्टिकोण से उपयुक्त नहीं है।" यह पत्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी, विदेश मंत्री एसएम कृष्णा को भी भेजा गया है और इसमें कहा गया है कि रूस की द्विपक्षीय यात्रा के दौरान कई अन्य मंत्रियों के समक्ष भी यह मुद्दा उठाया गया तथा उनसे कूटनीतिक हस्तक्षेप के जरिये इसके समाधान की मांग की गई। इस पत्र के लिखे जाने के बाद और 15-17 दिसम्बर के दौरान प्रधानमंत्री के रूस के दौरे के बीच में देश के छह शीर्ष मंत्री मास्को के द्विपक्षीय दौरे पर गए, जिनमें रक्षा मंत्री एके एंटनी, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे, केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री जीके वासन शामिल हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह पत्र मिलने के बारे में पुष्टि की और कहा कि रूस में भारतीय दूतावास को यह मुद्दा रूसी अधिकारियों के समक्ष उठाने के लिए कहा गया। वहीं, रूस में भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि रूसी अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा की गई है।


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