यह ख़बर 04 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

प्रयोगशाला में बना दिल धड़कने को तैयार

खास बातें

  • वैज्ञानिक प्रयोगशाला में दिल बना रहे हैं, जो कुछ सप्ताह में धड़कने लगेगा। इस दिल ने हृदय रोग से पीड़ित लाखों रोगियों में उम्मीद की किरण जगा दी है।
लंदन:

वैज्ञानिक प्रयोगशाला में दिल बना रहे हैं, जो कुछ सप्ताह में धड़कने लगेगा। इस कृत्रिम दिल ने हृदय रोग से पीड़ित लाखों रोगियों में उम्मीद की किरण जगा दी है। इसे लीवर, फेफड़ा या किडनी के कृत्रिम निर्माण के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस कृत्रिम हृदय का निर्माण मौत के बाद दान दिए गए शारीरिक अंगों की मांसपेशियों से किया गया है। यूनीवर्सिटी ऑफ मिन्नेसोटा में पुनरुत्पादक दवा के विशेषज्ञ डोरिस टेलर ने कहा, "दिल बन रहे हैं। हमें आशा है कि कुछ सप्ताह के भीतर वे धड़कना शुरू कर देंगे।" उन्होंने बताया, "इसमें काफी बाधाएं थीं, लेकिन मेरा मानना था कि प्रत्यारोपण के लिए शरीर के सभी अंगों का निर्माण सम्भव है।" सामान्य हृदय प्रत्यारोपण के दौरान मरीजों को रोग प्रतिरोधक क्षमता को दबाने के लिए दवाएं दी जाती हैं, ताकि आगे की जिंदगी में वह काम कर सके। इससे रक्तचाप, किडनी खराब होने और डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। यदि नया दिल मरीज के स्वयं के स्टेम सेल से बनाया जाता है तो इन खतरों को कम किया जा सकेगा। टेलर की टीम पहले ही चूहरों और सुअरों के लिए कृत्रिम दिल का निर्माण कर चुकी है, जो धड़कता भी है। वैज्ञानिकों के इस शोध के बारे में न्यू ऑरलियांस में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक सम्मेलन में बताया गया।


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