यह ख़बर 13 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

हाईकोर्ट ने प्रमोशन को बताया अवैध, लेफ्टिनेंट जनरल बने ब्रिगेडियर

खास बातें

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना के एक लेफ्टिनेंट जनरल की दो पदोन्नतियों को गैरकानूनी करार देते हुए उन्हें दो पद नीचे करके फिर से ब्रिगेडियर बना दिया है।
नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना के एक लेफ्टिनेंट जनरल की दो पदोन्नतियों को गैरकानूनी करार देते हुए उन्हें दो पद नीचे करके फिर से ब्रिगेडियर बना दिया है।

न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति जेआर मिढा की खंडपीठ ने 1974 बैच के अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसएस ठकराल को 2009 और 2011 में दी गई पदोन्नति निरस्त करते हुए कहा है कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने प्रतिपादित प्रक्रिया का पालन किए बगैर 'बदनीयती' से अपने अधिकार का इस्तेमाल किया।

न्यायाधीशों ने कहा कि यह स्थापित और निर्विवादित तथ्य है कि ठकराल को पहले मेजर जनरल और फिर लेफ्टिनेंट जनरल नियुक्त करने में बदनीयती से अधिकार का इस्तेमाल किया गया। न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादियों ने अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया।

इसके साथ ही न्यायालय ने रीमाउन्ट वेटरनेरी कार्प (आरवीसी) में ठकराल को मेजर जनरल और फिर लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पदोन्नति करने की चयन बोर्ड की 12 अगस्त, 2009 और 18 अगस्त, 2011 की कार्यवाही और परिणाम निरस्त कर दिए।

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न्यायालय ने 1976 बैच के अधिकारी मेजर जनरल श्रीकांत शर्मा की याचिका पर यह फैसला सुनाया। मेजर जनरल शर्मा ने ठकराल की पदोन्नति को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि चयन बोर्ड ने अनावश्यक जल्दबाजी और दुर्भावना से काम किया था। ठकराल इस समय सेना की रीमाउन्ट वेटरनेरी सर्विसेज में महानिदेशक हैं। लेफ्टिनेंट जनरल पद पर पदोन्नति होने के बाद उन्होंने यह पद ग्रहण किया था।