यह ख़बर 02 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बरसाना में ‘हुरियारों’ पर बरसी प्रेम से पगी लाठियां

खास बातें

  • बरसाना की रंगीली गली में नंदगांव के हुरियारों ने जमकर रंग, अबीर और गुलाल की वर्षा की। लोग वाद्ययंत्र एवं होली गीतों के साथ फागुन की मस्ती में चहुंओर सांवरे कान्हा का रंग दिखने लगा।
मथुरा:

बरसाना की रंगीली गली में नंदगांव के हुरियारों ने जमकर रंग, अबीर और गुलाल की वर्षा की। लोग वाद्ययंत्र एवं होली गीतों के साथ फागुन की मस्ती में चहुंओर सांवरे कान्हा का रंग दिखने लगा। भक्ति एवं प्रेम का प्रदर्शन उस समय चरम पर पहुंच गया जब राधा की सखियों ने ‘हुरियारों’ की ढाल पर प्रेम रस से पगी लाठियां बरसाई।

बरसाना की रंगीली गली में श्रीकृष्ण और राधा की फाग परंपरा को जीवंत करते हुए राधा के गांव की हरियारिनों ने सांखी के गीत ‘सुनो नंद के नंदा तुम कोर कौन छईयां’ गाते हुए रंगीली गली में निकलना शुरू कर दिया तो नंदगाव के हुरियारे भी अबीर गुलाल उड़ाते हुए, ‘फाग खेलन बरसाने में आए हैं नटवर नंद किशोर’ जैसे पद गाते मस्ती में झूमते नजर आए।

सुंदर वस्त्रों में सजी-धजी हुरियारिनें कृष्ण भक्ति के रंग में सराबोर नजर आ रही थीं। आम हो या खास जन सभी बरसाना की सतरंगी छटा से अछूते नहीं रह पा रहे थे। बरसाना का कण-कण गिरधर के रस रंग में भीगी पारंपरिक वाद्यों तथा तान पर थिरक रहा था। आसमान में उड़ते अबीर गुलाल ने कई घंटों तक कस्बे को रंगों से ढक दिया।

इससे पूर्व नंदगांव में भगवान श्रीकृष्ण के सखाओं ने नंदबाबा मंदिर जाकर श्रीकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष माता जशोदा से अनुमति प्राप्त कर पारंपरिक वेश भूषा में सजे हुनियारे मंदिर से श्रीकृष्ण की प्रतीक झंडी को लेकर बरसाना के प्रिया कुंड जा पहुंचे। वहां के गोस्वामियों ने भांग, ठंडाई आदि से उनका स्वागत किया।

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सिर पर पगड़ी बांधकर हाथों में ढाल और पिचकारी लेकर हुरियारे ब्रह्मगिरी पर्वत स्थित लाडलीजी मंदिर की ओर ‘दरशन दे निकस अटा में ते दरशन दे, श्री राधे वृषभान दुलारी’ गाते हुए बढ़े। इससे पूर्व कस्बे के गोस्वामी समाज ने मुख्य आयोजन स्थल पर एकत्रित होकर रसिया गाए।