अहमदाबाद में महिलाओं की पहल, झुग्गियों को फ्लैट में बदलने के लिए मना रही हैं लोगों को

अहमदाबाद में महिलाओं की पहल, झुग्गियों को फ्लैट में बदलने के लिए मना रही हैं लोगों को

प्रतीकात्मक फोटो

अहमदाबाद:

46 साल की गीताबेन ठाकोर एक बंगले में साफसफाई का काम करती हैं। कुछ साल पहले तक वे झुग्गी में रहती थीं, यहां उनके जैसे करीब  55 परिवार बसते थे। सुविधा के नाम पर यहां न तो पीने का साफ पानी था, न ही सीवेज की पर्याप्त व्यवस्था। बहरहाल अब स्थिति बदली है और आज वे फर्नीचरयुक्‍त एक बेडरूम के फ्लैट में हमारा स्‍वागत कर रही हैं। राजीव आवास योजना की घोषणा के बाद यह बदलाव संभव हुआ है, इसमें  झुग्गियों की जगह उन्हें हटाये बिना पक्के मकान के निर्माण का प्रावधान है, लेकिन जब झुग्गी में रहने वालों की ओर से इसके विरोध में आवाज उठी तो गीताबेन ने खुद ही सबको मनाने की ठानी।

शुरुआत में लोगों ने मंशा पर उठाए थे सवाल
शुरुआत में गीताबेन की मंशा पर कई लोगों ने सवाल उठाए लेकिन इससे बेपरवाह वे अपनी मंजिल की ओर बढ़ती रहीं। एनजीओ ने भी मदद की। गीताबेन अब दूसरी झुग्गीवालों को भी बेहतर ज़िंदगी के लिए तैयार कर रही हैं। उनके लिए ये तो महज शुरुआत है क्‍योंकि फिलहाल 60 में से दर्जनभर झुग्गीवासियों ने ही इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए सहमति जताई है। वैसे, झुग्गीमुक्त शहर का सपना तो अभी दूर है, लेकिन एक मूक क्रांति की शुरुआत हो गई है।

योजना को लेकर खुश हैं महिलाएं
राजीव आवास योजना को लेकर झुग्गी बस्ती में रहने वाली कुछ महिलाएं बेहद उत्साहित हैं। झुग्गी बस्ती में रहने वाली एक महिला मीना ने कहा कि फ्लैट में बच्चों अच्‍छे से पढ़ाई कर पाते हैं। खेलने के लिए भी जगह मिलती है और पानी की समस्या भी हल हो जाती है। गीताबेन खुद कहती हैं, 'अहमदाबाद में कोई झोंपडपट्टी नहीं रहनी चाहिए।  मुख्यमंत्री आवास योजना के जरिये झोपड़पट्टी की जगह फ्लैट बनते हैं तो यह सबके लिए अच्छा है। सब अच्छी तरह रहते हैं तो सबका परिवार अच्छा चलता है। स्वयंसेवी संस्था महिला हाउसिंग ट्रस्ट की प्रोग्राम मैनेजर भारती भोंसले बताती हैं, 'वर्ष 2010 से अलग लिया जाए तो 2010 की योजना में 6 प्रोजेक्ट और 2013 की योजना में 6 प्रोजेक्ट शामिल किए गए हैं। इनमें करीब 6500 फैमिली को कवर किया गया है।


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