यह ख़बर 23 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

मैं रुश्दी को जुबान देना चाहता था : हरि कुंजरू

खास बातें

  • जयपुर साहित्योत्सव में सलमान रुश्दी की पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' के कुछ अंशों का पाठ करने वाले चार लेखकों में से एक हरि कुंजरू का कहना है कि वह एक ऐसे लेखक को जुबान देना चाहते थे, जिसे मौत की धमकी से चुप कर दिया गया था।
लंदन:

जयपुर साहित्योत्सव में सलमान रुश्दी की पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' के कुछ अंशों का पाठ करने वाले चार लेखकों में से एक हरि कुंजरू का कहना है कि वह एक ऐसे लेखक को जुबान देना चाहते थे, जिसे मौत की धमकी से चुप कर दिया गया था।

कुंजरू ने समाचार पत्र गार्जियन में लिखा है, "हम जानते थे कि पुस्तक के अंश का पाठ करना उकसावा माना जाएगा, लेकिन हमने उसे अवैध नहीं माना।"

ज्ञात हो कि साहित्योत्सव के एक अनियत सत्र में 'द सैटेनिक वर्सेज' से कुछ अंशों का पाठ करने वाले चार लेखकों के खिलाफ जयपुर में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। ये चारों लेखक कुंजरू, अमिताव कुमार, जीत थायिल और रुचिर जोशी हैं।

कुंजरू ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को यह समाचार मिला कि रुश्दी साहित्योत्सव में हिस्सा नहीं लेंगे।  कुंजरू ने कहा, "उनकी उपस्थिति को लेकर अचानक पैदा हुआ धार्मिक आक्रोश स्वस्फूर्त नहीं था। भारत में राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काने का लम्बा इतिहास रहा है, और यह केवल चुनावी समय के दौरान की पारम्परिक गतिविधि का एक कुटिल उदाहरण था।"

कुंजरू ने एक तरह से पुलिस की खुफिया रपटों से पैदा हुई और साहित्योत्सव के दल के सामने आई उस खबर के बारे में लिखा है, जिसमें कहा गया था कि रुश्दी की हत्या करने के लिए मुम्बई से तीन हत्यारे भेजे गए हैं।

कुंजरू ने लिखा है, "..इसका सच जो भी हो, लेकिन सलमान को भारत यात्रा से रोकने के लिए यह पर्याप्त था।" उन्होंने कहा कि उन्हें और अमिताव को बहुत गुस्सा आया।

कुंजरू ने लिखा है, "हमे लगा कि सलमान के प्रति समर्थन दिखाना जरूरी है, जिन्हें कुछ ऐसे दुष्ट प्रकृति के लोगों द्वारा अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जो उनके रचनाकर्म के बारे में या तो मामूली जानकारी रखते हैं या कुछ भी नहीं जानते। यह स्थिति भारत में ऐसे समय में पैदा हुई है, जब अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला हो रहा है। इंटरनेट सामग्री की पूर्व समीक्षा अनिवार्य बनाने सम्बंधी हालिया कदम, और जोसेफ लेलीवेल्ड द्वारा रचित गांधी की जीवनी जैसी पुस्तकों पर प्रतिबंध, इस बात को दर्शाता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उन लोगों के लिए यह अच्छा समय नहीं है, जो अलोकप्रिय बातें कहने की इच्छा रखते हैं।"

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कुंजरू ने लिखा है, "हमने तय किया कि हम इस स्थिति को रेखांकित करने के लिए अपने अपराह्न् सत्र का इस्तेमाल करेंगे, जिसमें अमिताव मेरे उपन्यास 'गॉड्स विदाउट मेन' को लेकर मुझसे बातचीत करने वाले थे। हमने (साहित्योत्सव के आयोजकों या किसी अन्य से मशविरा किए बगैर) तय किया कि मैं एक बयान दूंगा, और उसके बाद हम 'द सैटेनिक वर्सेज' के कुछ अंशों का पाठ करेंगे।"