थैलेसीमिया से पीड़ित लड़के को वायुसेना ने बनाया 'सबसे युवा मानद पायलट'

थैलेसीमिया से पीड़ित लड़के को वायुसेना ने बनाया 'सबसे युवा मानद पायलट'

भारतीय वायुसेना (प्रतीकात्मक तस्वीर)

चेन्नई :

भारतीय वायुसेना ने दिल को छू लेने वाली एक पहल में थैलेसीमिया से पीड़ित 11 साल के एक बच्चे की इच्छा पूरी करते हुए उसे कोयंबटूर के सुलूर स्थित स्क्वाड्रन में 'सबसे कम उम्र का मानद पायलट' बनाया।
 
वायुसेना की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि मुकिलेश का पायलट बनने का सपना इस हफ्ते की शुरुआत में पूरा हुआ, जब वायुसेना ने इस संबंध में एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के अनुरोध को 'आसानी से स्वीकार कर लिया' और वायुसेना के 33 स्क्वाड्रन को बच्चे लिए 'पायलट फॉर वन डे' कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी।
 
इसमें कहा गया, 'मुकिलेश को स्क्वाड्रन बैज और कैप दिया गया और उड़ान में शामिल किया गया। सबसे बढ़कर उसे कमांडिंग ऑफिसर ने पायलट विंग भेंट की, जो उसने पूरे उड़ान के दौरान लगाए रखा।'
 
मुकिलेश की खुशी का तब ठिकाना नहीं था, जब उसे विमान के कैप्टन की सीट पर बैठाया गया। उसे शिविर के वायु यातायात नियंत्रण (एटीसी) के साथ संवाद करने का भी मौका दिया गया। उसे एक सारंग हेलीकाप्टर भी दिखाया गया।
 
मुकिलेश के वायुसेना स्टेशन के दौरे की व्यवस्था करने वाले विंग कमांडर कैरी लोकेश ने कहा, 'उसने इतनी छोटी उम्र में इतना कुछ देखा है, जिसके बाद मुझे लगता है कि उसके लिए ऐसा करना बहुत जरूरी था।' मुकिलेश की मां कविता ने कहा कि उनके बेटे के लिए यह एक 'शानदार अनुभव' था।
 
थैलेसीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें शरीर हीमोग्लोबिन के आसामान्य रूप का निर्माण करता है। इससे लाल रक्त कोशिकाएं बड़ी संख्या में नष्ट होती हैं और इस वजह से रक्तअल्पता (अनीमिया) का निर्माण होता है।


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