खास बातें
- सरकार ने बुधवार को कहा कि विश्व के पैमाने पर वेब पर जारी होने वाली सामग्री के नियमन के लिए कोई तंत्र बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
नई दिल्ली: इंटरनेट सामग्रियों की निगरानी किए जाने पर उठे विवाद के बीच सरकार ने बुधवार को कहा कि विश्व के पैमाने पर वेब पर जारी होने वाली सामग्री के नियमन के लिए कोई तंत्र बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सचिन पायलट ने कहा, सरकार ऐसी सामग्रियों का नियमन नहीं करती है और ऐसी सामग्रियों के नियमन के लिए कोई तंत्र बनाने का प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2010 से नवंबर 2011 के बीच सोशल नेटवकिग साइट के दुरूपयोग के 57 मामले सामने आए हैं जिनपर राजनीतिक नेताओं, धर्म, राष्ट्रीय सुरक्षा और लोगों के बारे में आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित की गई। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गूगल, फेसबुक और माइक्रासफ्ट जैसी इंटरनेट कंपनियों के साथ बैठक की थी जिसका मकसद इंटरनेट पर आपत्तिजनक सामग्री जारी पर रोक लगाने के बारे में चर्चा करना बताया गया। इस मुलाकात के कारण विवाद उत्पन्न हो गया था। कुछ वर्गो ने इंटरनेट सामग्री के नियमन के प्रयास का विरोध किया था। पायलट ने कहा, ऐसी अधिकांश साइट देश से बाहर से संचालित होती हैं। इनमें से कुछ साइट पर हमारे नेताओं और प्रसिद्ध लोगों के चित्र तोड़ मारोड़ कर पेश किये जा रहे हैं।