यह ख़बर 20 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

अमरकांत व श्रीलाल शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार

खास बातें

  • भारतीय ज्ञानपीठ ने बताया है कि 2009 के लिए 45वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्दी लेखक अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल को संयुक्त रूप से दिया जाएगा।
New Delhi:

भारतीय ज्ञानपीठ ने बताया है कि वर्ष 2009 के लिए 45वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्दी लेखक अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल को संयुक्त रूप से दिया जाएगा। वर्ष 2010 के लिए 46वां ज्ञानपीठ पुरस्कार कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर कंबर को दिया जाएगा। भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया ने बताया कि सोमवार शाम चयन समिति की बैठक में वर्ष 2009 के लिए हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित लेखक अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल को और कन्नड़ के नामचीन लेखक चंद्रशेखर कंबर को क्रमश: 45वां एवं 46वां ज्ञानपीठ पुरस्कार को देने निर्णय किया गया। सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में हुई ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति की बैठक में अन्य सदस्य प्रो. मैनेजर पांडे, डॉ के सच्चिदानंदन, प्रो. गोपीचंद नारंग, गुरदयाल सिंह, केशुभाई देसाई, दिनेश मिश्रा और रवीन्द्र कालिया शामिल थे। उत्तर प्रदेश के बलिया में 1925 में जन्मे हिन्दी के नामचीन लेखक अमरकांत के प्रमुख उपन्यास कंटीली राह के फूल, इन्हीं हथियारों से, सूखा पत्ता, काले उजले और बीच की दीवार शामिल हैं। इसके अलावा उनकी कहानी संग्रह में जिंदगी और जोंक, देश के लोग, मौत का नगर, मित्र मिलन और कुहासा प्रमुख है। अमरकांत मनोरमा पत्रिका के संपादक भी रहे हैं। उनके अभी तक 12 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह, संस्मरण और बाल साहित्य प्रमुख है। उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुके हैं।


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