मिर्ज़ा ग़ालिब की 221वीं जयंती आज, पढ़ें उनकी मशहूर शायरी : हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है...

ऊर्दू के सबसे मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की आज 221वीं जयंती (Mirza Ghalib's 221th) है. 'इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया जैसी प्रसिद्ध शायरियों के लिए पहचाने जाने वाले मिर्ज़ा गालिब इससे से बढ़कर शेर, शायरियां, रुबाई, कसीदा और किताबें लिखीं हैं.

मिर्ज़ा ग़ालिब की 221वीं जयंती आज, पढ़ें उनकी मशहूर शायरी : हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है...

Shayari of Mirza Ghalib: Mirza Ghalib की 221वीं जयंती

नई दिल्ली:

Mirza Ghalib Shayari: ऊर्दू के सबसे मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) की आज 221वीं जयंती (Mirza Ghalib's 221th Birthday) है. 'इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के' या फिर 'दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है'. जैसी प्रसिद्ध शायरी के लिए पहचाने जाने वाले मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) ने इससे बढ़कर शेर, शायरियां, रुबाई, कसीदा और किताबें लिखें हैं. आप भी इस खास मौके पर पढ़ें उनकी ये बेहद ही खूबसूरत नज्में पढ़ें, जिन्हें पढ़कर आपको एक बार फिर मिर्ज़ा ग़ालिब से प्यार हो जाएगा. 

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बता दें, साल 2017 में गूगल (Google) ने शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 220वीं जयंती (Mirza Ghalib 220th Birthday) पर उन्हें डूडल (Doodle) से श्रद्धांजलि दी थी. वहीं, उन पर बॉलीवुड में सोहराब मोदी (Sohrab Modi) की ‘मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)' नाम की फिल्म (Mirza Ghalib Film, 1954) बनीं. इसके साथ ही टेलीविजन पर गुलज़ार का टीवी सीरियल ‘मिर्ज़ा ग़ालिब (1988)' (Mirza Ghalib TV Serial, 1988)  भी काफी प्रसिद्ध रहा.

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बता दें, मिर्ज़ा ग़ालिब का पूरा नाम असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ ग़ालिब (‎Mirza Asadullah Baig Khan Ghalib) था. इस महान शायर का जन्म 27 दिसंबर 1796 में उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में एक सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ. वहीं, इन्होंने आखिरी सांस 15 फरवरी 1869 में अपनी ग़ालिब की हवेली, चांदनी चौक (Ghalib ki Haveli, Chandni Chowk) में ली. 

यहां पढ़ें उनकी शायरियां... (Mirza Ghalib Shayari)

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी की हर ख़्वाहिश पर दम निकले

बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

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Mirza Ghalib's 221th Birthday

 
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

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Mirza Ghalib's 221th Birthday


दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

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Mirza Ghalib's 221th Birthday

 
हम वहां हैं जहां से हम को भी

कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

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Mirza Ghalib's 221th Birthday


फिर उसी बेवफा पे मरते हैं 
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है 
बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब'
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है

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Mirza Ghalib's 221th Birthday

 

अक़्ल वालों के मुक़द्दर में यह जुनून कहां ग़ालिब 
यह इश्क़ वाले हैं, जो हर चीज़ लूटा देते हैं...

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Mirza Ghalib's 221th Birthday

तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब 
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूंढ़ते रहे

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Mirza Ghalib's 221th Birthday


 बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब 
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है

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Mirza Ghalib's 221th Birthday


तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा 
नहीं तो दो घूंट पी और मस्जिद को हिलता देख

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Mirza Ghalib's 221th Birthday

वीडियो - मशहूर शायर बशीर बद्र से एक खास मुलाकात

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