यह ख़बर 04 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'अपनी पेंटिंग्स नष्ट कर देना चाहते थे हुसैन'

खास बातें

  • ओवैस ने कहा, "एक ऐसा समय था जब मेरे पिता अपनी सारी पेंटिंग्स नष्ट कर देना चाहते थे। वह कहते थे कि इनकी क्या उपयोगिता है।"
नई दिल्ली:

अपने ही देश से बाहर रहने को मजबूर प्रख्यात भारतीय चित्रकार एमएफ हुसैन कभी अपनी सारी पेंटिंग्स नष्ट कर देना चाहते थे। मरहूम हुसैन के बेटे ओवैस हुसैन ने यह खुलासा किया है। अपने पिता पर एक वृत्तचित्र फिल्म बना रहे ओवैस ने एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे जिंदगी में अचानक ही महसूस हो रहा है कि मेरे सामने एक बंजर भूमि है लेकिन यह बंजर भूमि समृद्ध है जो मेरे अंदर इसे अपना लेने की भूख प्रेरित करती है। मैं तैयार हूं, वास्तव में मैं ऐसा कर रहा हूं।" भारत से आत्म-निर्वासन के बाद अपने पिता के निराशा के दिनों को याद करते हुए ओवैस ने कहा, "एक ऐसा समय था जब मेरे पिता अपनी सारी पेंटिंग्स नष्ट कर देना चाहते थे। वह कहते थे कि इनकी क्या उपयोगिता है।" ओवैस एक कलाकार व फिल्मकार हैं। वह अपने भाइयों शफकत, शमशाद और मुस्तफा के साथ यहां सफदर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा हुसैन को श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित यादगार समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। हुसैन का नौ जून को लंदन में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह 95 साल के थे। उन्होंने हिंदू अतिवादियों द्वारा उनकी कुछ पेंटिंग्स पर ऐतराज किए जाने और उन्हें धमकाए जाने के बाद साल 2006 में भारत छोड़ दिया था। ओवैस की फिल्म 'लेटर्स टू माई सन एबाउट माई फादर' हुसैन परिवार की कला व प्रसिद्धि की यात्रा की कहानी है। यह फिल्म हुसैन की महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के अंजान क्षेत्रों से लेकर मुम्बई और पूरे विश्व में प्रसिद्धि पाने की यात्रा पेश करती है। ओवैस कहते हैं, "यह उनके जीवन की एक दस्तावेज होगी, जिसमें एक कलाकार व एक व्यक्ति के नाते उनकी यात्रा दिखाई गई है। मैं अपने बेटे को यह कहानी सुनाना चाहता हूं। एक पिता द्वारा अपने बेटे को सुनाई गई कहानी की तरह दुनियाभर के सामने यह कहानी प्रस्तुत की जा रही है। इस वृत्तचित्र के पूरी तरह से तैयार होने से पहले मुझे इसके लिए कुछ साक्षात्कार और करने हैं। इसमें कुछ पारिवारिक दृश्य भी होंगे लेकिन मैं अभी कहानी का अंत तलाश रहा हूं।"


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