यह ख़बर 25 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई सलाह पर 7 वर्षों में फैसला नहीं

खास बातें

  • पंजाब व हरियाणा के बीच पानी के विवाद पर राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से मांगी गई सलाह पर 7 वर्षों के बाद भी कोई फैसला नहीं लिया गया।
चंडीगढ़:

पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के विवाद पर राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से मांगी गई सलाह पर सात वर्षों के बाद भी कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। इस बारे में हरियाणा के सिंचाई मंत्री अजय सिंह यादव ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सलमान खुर्शीद को पत्र लिखकर कहा है, "राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई सलाह का सम्भवत: यह पहला मामला है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय सात वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई राय नहीं दे पाया है।" आईएएनएस से पास मौजूद पत्र की प्रति में यादव ने इससे पूर्व में राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से मांगी गई सलाहों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि वर्ष 1951 लेकर अब तक के करीब सभी मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने एक साल के भीतर अपनी राय जाहिर कर दी है। पिछले सप्ताह भेजे इस पत्र में यादव ने पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद के समाधान के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है। सर्वोच्च न्यायालय पंजाब विधानसभा द्वारा पारित जल संधि कानून को रद्द करने के मामले में राष्ट्रपति द्वारा वर्ष 2004 में मांगी गई सलाह पर विचार कर रहा है। मंत्री ने केंद्रीय मंत्री से भारत के महान्यायवादी के साथ इसे मुद्दे को उठाने को कहा है ताकि वह इस मसले को सर्वोच्च न्यायालय में उठा सकें। उन्होंने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2004 के बाद से हरियाण सरकार द्वारा इस मसले को उठाए जाने के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय में इसे सूचीबद्ध नहीं किया गया। पत्र में यादव ने सतलुज यमुन लिंक नहर के मसले को भी उठाया है। उन्होंने कहा है, "मैं आपसे गम्भीरता से अनुरोध करता है कि आप स्वयं इस मामले को देखें और भारत के महान्यायवादी के साथ इसे उठाएं ताकि वह मसले को सर्वोच्च न्यायालय में उठा सकें और राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई सलाह पर फैसला हो सके व सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण का काम शुरू हो सके।" उन्होंने लिखा है, "यह हरियाणा विशेषकर राज्य के दक्षिणी हिस्से के लिए काफी महत्वपूर्ण है, जहां से मैं सम्बंध रखता हूं। राज्य का यह हिस्सा पंजाब द्वारा नहर का काम पूरा नहीं करने के कारण पानी की कमी से जूझ रहा है। सिंचाई मंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान सरकार ने हांसी-बुताना नहर का निर्माण करवाया ताकि राज्य के भीतर पानी का समान बंटवारा हो सके, लेकिन यह नहर भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के कारण काम नहीं आ सकती।"


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