खास बातें
- 10 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद पर हमला किया था।
New Delhi: संसद पर हमले की आज दसवीं बरसी है। 10 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद पर हमला किया था। इस हमले का संसद परिसर में तैनात सुरक्षा बलों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था और सभी पांच आतंकियों को मार गिराया था। देश के लोकतंत्र पर हुए इस सबसे बड़े हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल, संसद के दो गार्ड, संसद में काम कर रहा एक माली और एक पत्रकार शहीद हो गए थे। बाद में इस हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जिसे बाद में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। अफजल गुरु की फांसी पर दया की याचिका राष्ट्रपति के पास पड़ी है। संसद पर हमले के दौरान शहीद दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब−इंस्पेक्टर नानक चंद का परिवार मुख्य आरोपी अफजल गुरु को फांसी मिलने में हो रही देरी से नाराज है। नानक चंद के परिवार ने कहा है कि जब तक अफजल को फांसी नहीं मिल जाती तब तक वे सरकार की ओर से दिए गए किसी भी सम्मान को नहीं लेंगे। सरकार ने नानकचंद की बहादुरी को देखते हुए उन्हें कीर्ति चक्र दिया था लेकिन उनके परिवार ने इसे लेने से मना कर दिया था। नानक चंद के पिता ने कहा कि एक तो सरकार ने उनके बेटे की शहादत के बाद उनकी कोई सुध नहीं ली और दूसरे कि वह उनके बेटे के हत्यारे को फांसी देने में देरी कर रही है।