यह ख़बर 12 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

स्कूल में मोबाइल ले जाने पर टीचर ने की स्कूली छात्रा की पिटाई, कान का पर्दा फटा

नई दिल्ली:

दिल्ली के एक स्कूल में एक बच्ची को स्कूल में मोबाइल लाने पर टीचर ने इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि उसके कान का पर्दा ही फट गया। स्कूल प्रशासन इस बाबत कोई कार्रवाई करने की बजाय मामले को दबाने में जुटा है।

पीड़ित छात्रा ने बताया, "उस दिन हम लेट हो गए थे, तो मम्मी ने कहा कि स्कूटी ले जाओ और मोबाइल दे दिया। मोबाइल डिक्की में डालना भूल गई और बैग में ले गई। मैडम चेकिंग कर रही थी, तो बैग देखकर अचानक मारना शुरू कर दिया। बाल पकड़ कर थप्पड़ मारने लगी। मेरा कान सुन्न हो गया..."

11वीं में पढ़ने वाली यह लड़की अभी सदमे से उबरी नहीं है। डॉक्टरों ने बताया कि पिटाई की वजह से उसके एक कान का पर्दा फट गया है, जबकि दूसरे कान को भी खासा नुकसान पहुंचा है।

जब हम स्कूल और उस टीचर का पक्ष जानने स्कूल पहुंचे, तो टीचर बिना बात किए स्कूल के भीतर चली गईं। कार्यवाहक प्रिंसिपल ने बताया कि उन्हें बच्ची की पिटाई को लेकर कोई जानकारी नहीं है। लेकिन यह तो ड्रामे की शुरुआत भर थी, जब आरोपी टीचर के बारे में पूछा, तो सारे मिलकर उसे ढूंढने का नाटक करने लगे, जो बगल के ही कमरे में छुप गई थीं।

स्कूल में जो हुआ उससे तो शक गहराता ही है, लेकिन चार दिन बाद भी आरोपी टीचर पर कार्रवाई न होना पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़ करता है। अब यह वजह भी साफ हो गई कि पीड़ित बच्ची के घरवाले आखिर स्कूल तक पहुंचने की भी हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाए।

उधर, आरोपी टीचर के खिलाफ पुलिस में मामला तो दर्ज हुआ है, लेकिन चार दिन बाद भी पुलिस का यही कहना है कि जांच जारी है और मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि स्कूलों में कायदे-कानून जरूरी है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले टीचरों को यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि उन्हें बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का हक किसी ने नहीं दिया है।


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