यह ख़बर 14 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

गोलगप्पे बेचने वाली ओलिंपिक विजेता को मिलेंगे 6 लाख रुपये

खास बातें

  • सीता साहू ने वर्ष 2011 में एथेंस में आयोजित स्पेशल ओलिंपिक में 200 मीटर व 1600 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीते थे। सीता की पारिवारिक हालत ठीक नहीं है और उसके पिता चाट का ठेला लगाकर परिवार का जीवन यापन करते हैं।
भोपाल:

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में गोलगप्पे बेच रही एथेंस स्पेशल ओलिंपिक में दो कांस्य पदक जीतने वाली सीता साहू की मदद के लिए हर तरफ से हाथ उठने लगे हैं। राज्य सरकार ने जहां एक लाख रुपये देने की घोषणा की है, वहीं केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) की ओर से पांच लाख रुपये नकद व एक मकान देने का ऐलान किया है।

सीता साहू ने वर्ष 2011 में एथेंस में आयोजित स्पेशल ओलिंपिक में 200 मीटर व 1600 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीते थे। सीता की पारिवारिक हालत ठीक नहीं है और उसके पिता चाट का ठेला लगाकर परिवार का जीवन यापन करते हैं। पिता के बीमार होने पर सीता को काम में हाथ बंटना पड़ा। उसे खुद चाट बेचने को मजबूर होना पड़ा। चौथी में पढ़ने वाली सीता पारिवारिक हालात के चलते स्कूल तक नहीं जा पाई।

राज्य सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने खुद एथेंस स्पेशल ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई की थी। इतना ही नहीं, पदक जीतने पर इनाम देने का सरकार ने ऐलान किया था, मगर एक साल बाद भी वादे पर अमल नहीं हुआ।

आर्थिक तंगी से जूझती सीता ने अपना हक पाने के लिए राजधानी भोपाल में दस्तक दी तो सरकार हरकत में आई। मुख्यमंत्री चौहान ने सीता को एक लाख रुपये की सहायता का ऐलान किया। इतना ही नहीं ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने एथेंस स्पेशल ओलंपिक के सभी पदक विजेताओं को पूर्व में किए गए वादे के मुताबिक एक सप्ताह के भीतर सम्मानित करने का ऐलान किया है।

सीता के लिए दूसरी बड़ी और राहत देने वाली खबर केंद्रीय उर्जा राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी है। उन्होंने बताया है कि सीता को एनटीपीसी की ओर से पांच लाख रुपये और उसके परिवार के रहने के लिए मकान मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा है कि एक खिलाड़ी को उसका हक मिलना चाहिए, सीता आगे भी खेले और पदक हासिल करे, ऐसी उनकी कामना है।

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सीता आगे भी खेलकर देश का नाम रोशन करना चाहती है, मगर गरीबी उनके सपने को पूरा नहीं होने दे रहा। अब उम्मीद है कि उसे मिली आर्थिक साहयता नई उड़ान भरने का अवसर देगी।