भारत के 12वीं के छात्र ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा सैटेलाइट, NASA करेगा लांच

तमिलनाडु के पलापटी में रहने वाले 12वीं के छात्र ने दुनिया का सबसे छोटा सेटेलाइट बनाया है. रिफत शारूक के बनाए इस सैटेलाइट को नासा अगले महीने 21 जून को लांच करेगा.

भारत के 12वीं के छात्र ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा सैटेलाइट, NASA करेगा लांच

12वीं के छात्र रिफत शारूक ने बनाया दुनिया की सबसे छोटी सैटेलाइट.

खास बातें

  • तमिलनाडु के छात्र का आविष्कार, बनाया दुनिया का सबसे छोटा सैटेलाइट
  • महज 64 ग्राम का है यह सैटेलाइट, बेकार के चीजों से किया आविष्कार
  • दो साल और एक लाख रुपए खर्च हुए इस सैटेलाइट को बनाने में
नई दिल्ली:

भारतीय बच्चों की प्रतिभा का लोहा दुनिया भर में माना जाता है. इस उदाहरण एक बार फिर से देखने को मिला है. तमिलनाडु के पलापटी में रहने वाले 12वीं के छात्र ने दुनिया का सबसे छोटा सेटेलाइट बनाया है. रिफत शारूक के बनाए इस सैटेलाइट को नासा अगले महीने 21 जून को लांच करेगा. नासा पहली बार किसी भारतीय छात्र के एक्सपेरियमेंट को अपने मिशन में शामिल कर रहा है.  यह सैटेलाइट सबसे छोटा होने के साथ सबसे कम वजन का भी है. यह महज 64 ग्राम का है. 18 वर्षीय छात्र ने इस सैटेलाइट का नाम 'कलामसैट' रखा है. रिफत का कहना है कि उसने इस यह नाम पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से प्रेरित होकर रखा है. 

शारूक का चयन 'क्यूब्ज इन स्पेस' नामक कार्यक्रम के जरिए हुआ है. नई प्रतिभाओं की तलाश के मकसद से इस कार्यक्रम को नासा और 'आई डूडल लर्निंग' ने आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में 57 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. भारतीय छात्र का बनाया हुआ यह सैटेलाइट 86 हजार मॉडलों में से चुना गया है. रिफत के अलावा दुनिया के 80 और छात्रों के मॉडल चुने गए.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक शारूक का बनाया हुआ यह सैटेलाइट अंतरिक्ष के सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण (माइक्रो-ग्रेविटी) वाले वातावरण में करीब 12 मिनट तक संचालित होगा. इस दौरान यह 3-डी प्रिंटेड कार्बन फाइबर के कार्य-निष्पादन (परफॉर्मेंस) को प्रदर्शित करेगा. 

दिलचस्प बात यह है कि रिफत ये सैटेलाइट बेकार चीजों से तैयार किया है. रिफत ने इसे अपने दोस्तों के साथ मिलकर तैयार किया है. इसे बनाने में अब्दुल कासिम, तनिष्क द्वेवदी, विनय भारद्वाज और गोगी नाथ ने रिफत की मदद की. 64 ग्राम की वेबसाइट बनाने में दो साल का वक्त लगा और एक लाख रुपए खर्च हुए. 


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