यह ख़बर 28 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

तनाव को कहें बाय-बाय

खास बातें

  • कार्यस्थल के माहौल के कारण कर्मचारियों को चिंता,तनाव या दबाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है। इसके लिए तनाव का प्रबंधन जरूरी है।
New Delhi:

वर्तमान समय में कार्यस्थल के माहौल के कारण कर्मचारियों को चिंता,तनाव या दबाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है। इस वजह से जहां उत्पाद और मुनाफा बुरी तरह प्रभावित होते हैं,वहीं कर्मचारियों को पेशागत हताशा या बेरोजगारी के खतरे का सामना करना पड़ता है। अध्ययनों में बताया गया है कि 80 प्रतिशत तनाव कार्यस्थल के माहौल के कारण पैदा होता है। तनाव से निबटने के लिए और करियर की दिशा में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि आप तनाव प्रबंधन के सूत्रों को आजमाएं। सबसे पहले आप इस बात का पता लगाएं कि क्या आप तनाव की स्थिति में हैं,फिर तनाव के कारण का पता लगाएं। कार्यस्थल में तनाव के स्रोत अलग-अलग हो सकते हैं,कुछ तनाव के पीछे कर्मचारियों की भूमिका होती है तो कुछ निश्चित पेशे के साथ तनाव अनिवार्य रूप से जुड़ा होता है और दूसरे तरह के तनाव कार्यस्थल के माहौल की वजह से पैदा होते हैं। कर्मचारियों के लिए अनुत्पादक सुविधाएं या अतिरिक्त श्रम के बदले कम वेतन जैसी परिस्थितियों के चलते तनाव पैदा होता है। कार्यस्थल का खराब माहौल,निर्धारित समय पर कार्य पूरा करने का दबाव आदि के चलते भी कर्मचारियों का तनाव बढ़ सकता है। कर्मचारियों को जिन वजहों से तनाव का सामना करना पड़ सकता है, वे हैं : पदोन्नति न होना, अत्यधिक जवाबदेही, निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर होना, अपनी स्थिति को लेकर कर्मचारियों की अनिश्चितता, सहकर्मी, वरिष्ठों या मातहतों के साथ विवाद, अपने कार्य को मान्यता न मिलने से उपजी हताशा, दायित्वों के बारे में अस्पष्ट जानकारी, कठोर नियमों के साथ कार्यस्थल का प्रतिकूल माहौल। अच्छी तरह विश्लेषण करने के बाद अगर आपको ऐसा लगता है कि कार्यस्थल की वजह से आप तनाव में रहते हैं तो खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए आप कुछ सूत्र अपना सकते हैं। -अपने माहौल में किस बात से आपको तनाव महसूस होता है, उसका पता लगाएं और अपनी भावनात्मक एवं शारीरिक प्रतिक्रिया पर गौर करें। यह समझकर समस्या को नजरअंदाज न करें कि यह आपने आप ठीक हो जाएगा। ऐसा करने पर स्थिति और भी बिगड़ सकती है। -अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया की सघनता को कम करें। अपने इर्द-गिर्द के तमाम लोगों को संतुष्ट करने की कोशिश न करें। अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करें। यह समझ लें कि जितने कार्य आप करते हैं,वे सबके सब महत्वपूर्ण नहीं होते। चीजों के सकारात्मक पहलू की तरफ ध्यान केंद्रित करें और नकारात्मक पहलू की उपेक्षा करें। -शिराओं को तनावमुक्त बनाने के लिए ध्यान की पद्धति का प्रयोग करें। गहरी सांस लेकर भी स्वयं को तनाव मुक्त रखा जा सकता है। प्रतिदिन केवल 10 मिनट ध्यान का अभ्यास करते रहने से भी तनाव को दूर रखा जा सकता है। -धूम्रपान और एल्कोहल से दूर रहें। सिगरेट या शराब का सेवन करने से तनाव घटने की बजाय बढ़ता ही है। निर्धारित समय पर सोना जरूरी है और यह भी सुनिश्चित करें कि आपकी नींद में खलल न पड़े। -ऐसे लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं,जो मानसिक रूप से आपको प्रेरित करते हों। -समय का सही तरीके से उपयोग कर तनाव को दूर किया जा सकता है। एक कहावत है : समय ही धन है। ये तरीके अपनाकर समय का सदुपयोग किया जा सकता है: -आप जो समय की रूपरेखा बनाएं उसका उपयोग निर्णय लेने के उपकरण के रूप में करें। -अपने समय की रूपरेखा बनाते समय लचीला रुख अपनाएं। -निश्चित समय के भीतर संसाधनों का अधिक से अधिक प्रयोग करें। -समय की रूपरेखा बनाते समय लक्ष्य को स्पष्ट रखें, प्राथमिकताओं को परिभाषित करें व समय क्षमता से अधिक कार्यों को निपटाने का निश्चय न करें।


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