यह ख़बर 09 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

विकिलीक्स : बंशी लाल रक्षा मंत्रालय की नहीं, इंदिरा की कर रहे थे सेवा

खास बातें

  • आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार में ज्यादातर मंत्रियों को बीच अपनी वफादारी साबित करने के लिए प्रतियोगिता चल रही थी। विकिलीक्स के नए केबल में यह खुलासा किया गया है। तत्काली रक्षा मंत्री बंशी लाल भी अपने मंत्रालय के प्रति जिम्मेदारियों को छोड़कर इसी काम
नई दिल्ली:

आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार में ज्यादातर मंत्रियों को बीच अपनी वफादारी साबित करने के लिए प्रतियोगिता चल रही थी। विकिलीक्स के नए केबल में यह खुलासा किया गया है।

तत्काली रक्षा मंत्री बंशी लाल भी अपने मंत्रालय के प्रति जिम्मेदारियों को छोड़कर इसी काम में जुटे हुए थे।

इससे पहले, विकिलीक्स ने एक बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया कि वर्ष 1975 में इमरजेंसी के दौरान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जासूसी की जा रही थी और एक अमेरिकी जासूस उनके घर के भीतर था।

हालांकि, खुलासे में जासूस का नाम भी नहीं बताया गया है, और उसकी नागरिकता के बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है। वैसे इस खुलासे से यह भी स्पष्ट नहीं हो पाता है कि भारत में इमरजेंसी लागू करने में अमेरिका की कोई भूमिका थी या नहीं।

विकिलीक्स का दावा है कि भारत स्थित अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी विदेशमंत्री को इमरजेंसी लागू होने के एक महीने बाद 29 जुलाई, 1975 को भेजे गए एक केबल में कांग्रेसी नेताओं द्वारा दिए जाने वाले अमेरिका-विरोधी बयानों में कमी का ज़िक्र करते हुए कहा गया, "प्रधानमंत्री के आवास में मौजूद विश्वस्त सूत्र ने आश्वस्त किया है कि श्रीमती गांधी ने खुद संयम बरतने के निर्देश जारी कर दिए हैं।"

विकिलीक्स ने इन केबलों के आधार पर यह दावा भी किया है कि वर्ष 1976 के मध्य से अमेरिकी सरकार को यह सूचना मिलने लगी थी कि इंदिरा गांधी वर्ष 1977 में आम चुनाव करा सकती हैं।

वैसे 26 जून, 1975 को इमरजेंसी लागू होने के एक ही दिन बाद अमेरिकी दूतावास ने अपनी सरकार को संदेश दिया था कि इमरजेंसी के पीछे इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी और सचिव आरके धवन की भूमिका थी। संदेश के मुताबिक दोनों की कोई विचारधारा नहीं थी, और दोनों ही तानाशाह स्वभाव के थे, जिनका एक ही मकसद था - इंदिरा गांधी को सत्ता में बनाए रखना।

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विकिलीक्स के मुताबिक, इसके अलावा '1970 के दशक के कुछ अन्य अमेरिकी केबलों में बताया गया है कि इंदिरा गांधी के विरोधी भी उस समय की कांग्रेस (इंदिरा) को 'मधुमक्खी का छत्ता' कहा करते थे। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी के पौत्र राहुल गांधी ने हाल ही में एक भाषण में भारत को सकारात्मक संदर्भ में 'मधुमक्खी के छत्ते' की संज्ञा दी थी। वर्ष 1973 में भारत स्थित अमेरिकी दूतावास सेभेजे गए केबलों में विपक्षी कांग्रेस (ओ) की एक बैठक का ज़िक्र है, जिसके दौरान कांग्रेस (ओ) के एक नेता ने कहा था, "श्रीमती गांधी की पार्टी 'मधुमक्खी के छत्ते' जैसी है, और श्रीमती गांधी स्वयं रानी मधुमक्खी हैं, जिनके दूर जाने पर छोटी मधुमक्खियां उड़ जाती हैं, और छत्ता ढह जाता है।"