अनोखा स्कूल: यहां 60 साल की उम्र के बाद मिलता है एडमिशन, पिंक ड्रेस है अनिवार्य

अनोखा स्कूल: यहां 60 साल की उम्र के बाद मिलता है एडमिशन, पिंक ड्रेस है अनिवार्य

इस स्कूल में एडमिशन लेने के लिए न्यूनतम 60 साल और अधिकतम 90 साल होनी चाहिए.

खास बातें

  • योगेंद्र बांगड़ ने 17 फरवरी 2016 को ठाणे में खोला था यह स्कूल.
  • स्कूल में पढ़ने के लिए पिंक ड्रेस है ड्रेसकोड.
  • इस स्कूल में फिलहाल 29 महिलाएं पढ़ती हैं.
ठाणे:

अगले कुछ दिनों में नर्सरी एडमिशन की दौड़ शुरू होने वाली है. शहर के बड़े स्कूलों में ज्यादा उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जाता है. ऐसे में अगर आपसे कहूं कि एक ऐसा स्कूल है जहां एडमिशन लेने के लिए कम से कम 60 साल की उम्र होनी चाहिए तो शायद ही आप यकीन करेंगे. महाराष्ट्र्र के ठाणो में बने इस अनोखे स्कूल ने सफलता पूर्वक अपना एक साल पूरा कर लिया है. यहां इस स्कूल को 'आजीबाईची शाला' कहा जाता है. 

इस स्कूल में है ड्रेस कोड

ऐसा स्कूल खोलने के आइडिया इलाके के योगेंद्र बांगड़ के दिमाग में आया था. फांगणो जिला परिषद प्राथमिक स्कूल के शिक्षक बांगड़ ने मोतीराम चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ मिलकर पिछले साल 17 फरवरी को यह पहल शुरू की. मोतीराम चैरिटेबल ट्रस्ट इन महिलाओं को स्कूल के लिए गुलाबी साड़ी, स्कूल बैग, एक स्लेट और चॉक पेंसिल जैसे जरूरी सामान के साथ कक्षा के लिए ब्लैक बोर्ड उपलब्ध कराता है. 

इस स्कूल में एडमिशन लेने के लिए न्यूनतम 60 साल और अधिकतम 90 साल होनी चाहिए. यहां का ड्रेसकोड गुलाबी है. यानी यहां महिलाएं गुलाबी साड़ी पहनकर पढ़ने आती हैं. इस स्कूल में फिलहाल 29 महिलाएं पढ़ती हैं. 

बांगड़ बताते हैं कि शुरुआत में यहां महिलाएं आने से कतराती थीं. उन्हें लगता इस उम्र में पढ़ना अच्छा नहीं लगेगा. फिर उन्हें जागरूक किया गया और शिक्षा की अहमियत बताई गई. 

स्कूल की शिक्षक शीतल ने बताया कि जब यहां महिलाएं आती हैं तो वह ब्लैकबोर्ड पर लिखी गई बातें बिलकुल भी नहीं समझती. यहां आने के बाद वह हस्ताक्षर करना शुरू कर देती हैं. योगेंद्र बताते हैं कि यहां महिलाओं की पढ़ाई मराठी और हिंदी वर्णमाला से शुरू कराई जाती है. 

इसी स्कूल में पढ़ने वाली कांता मोरे कहती हैं कि अब वह अपना नाम लिख पा रही हैं. उन्हें ऐसा करना काफी अच्छा लगता है. एक अन्य छात्रा कहती हैं कि अब वह अपनी पोती की किताब पढ़ पा रही हैं.

योगेंद्र बांगड़ ने बताया कि वे चाहते हैं कि इस देश में हर इंसान साक्षर हो. इस सपने को पूरा करने के लिए शिक्षित लोगों को अपने स्तर से पहल करनी होगी.

 


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