यह ख़बर 11 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'...या तो हमारा साथ दो या खिलाफ हो...!'

खास बातें

  • वर्ष 2001 में अपहृत विमानों से न्यूयार्क में दोहरे टावर पर अल कायदा ने आतंकवादी हमला किया था जिसमें करीब 3000 लोगों की जान चली गयी थी।
वाशिंगटन:

11 सितंबर के हमले की दसवीं बरसी पर सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों के अनुसार अमेरिका ने इस भयंकर हमले के बाद पाकिस्तान को या तो हमारे साथ या हमारे खिलाफ का विकल्प दिया था। वर्ष 2001 में अपहृत विमानों से न्यूयार्क में दोहरे टावर पर अल कायदा ने आतंकवादी हमला किया था जिसमें करीब 3000 लोगों की जान चली गयी थी। उसके बाद एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के तत्कालीन प्रमुख महमूद अहमद से कहा था कि पाकिस्तान के पास हमारे साथ या हमारे खिलाफ में से विकल्प चुनने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इस हमले के दो दिन बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मांगों की एक लंबी फेहरिस्त सौंपी थी और उन पर तत्काल अमल करने को कहा था। इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान से मुल्ला उमर को यह भी चेतावनी देने को कहा था कि यदि उसने अफगानिस्तान में छिपे अल कायदा नेताओं को उसे नहीं सौंपा तो वह तालिबान शासन की चूलें हिलाकर रख देगा। अक्टूबर, 2001 में अमेरिका ने उमर को एक निजी संदेश भेजा था कि और चेतावनी दी थी कि तालिबान शासन की हर चूल हिलाकर रख दी जाएगी।


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