यूपी के गांव में 50 साल तक 'लिव इन' में रहा यह जोड़ा, बच्चों ने कराई शादी

बाराबंकी जिले के भानपुर गांव में रहने वाले सुखराम और रजपता देवी जब यंग थे तो दोनों के बीच प्यार हुआ था. उस दौर में सुखराम बेहद गरीब थे. उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे रजपता के साथ शादी कर सकें. आखिरकार दोनों ने बिना शादी के साथ रहने का फैसला किया.

यूपी के गांव में 50 साल तक 'लिव इन' में रहा यह जोड़ा, बच्चों ने कराई शादी

यूपी के बाराबंकी में एक अनोखी शादी हुई. तस्वीर: प्रतीकात्मक

खास बातें

  • उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के गांव में हुई अनोखी शादी
  • दूल्हा 80 साल का और दुल्हन 70 साल की
  • 50 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे दोनों
बाराबंकी:

हमारे देश के शहरों तक में रहने वाले ज्यादातर लोग 'लिव इन रिलेशनशिप' शब्द सुनकर असहज हो जाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के एक गांव में बेहद अनोखा मामला सामने आया है. बाराबंकी जिले के राम सनेहीघाट थाना क्षेत्र के भानपुर गांव में हुई एक शादी में दूल्हा 80 साल का और दुल्हन 70 साल की रही. यह शादी इसलिए चर्चा में है, क्योंकि दूल्हा-दुल्हन प्रेमी प्रेमिका हैं और बिना शादी के बंधन में बंधे 50 साल से साथ रह रहे थे. शहरी लहजे में कहें तो ये दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहे. इस अनोखी शादी की चर्चा न केवल इलाके में है, बल्कि मीडिया और सोशल मीडिया पर भी हो रही है.

गरीबी के चलते इस जोड़े ने नहीं की शादी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भानपुर गांव में रहने वाले सुखराम और रजपता देवी जब यंग थे तो दोनों के बीच प्यार हुआ था. उस दौर में सुखराम बेहद गरीब थे. उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे रजपता के साथ शादी कर सकें. आखिरकार दोनों ने बिना शादी के साथ रहने का फैसला किया. दोनों ने मेहनत मजूदरी कर अपना पेट पालना शुरू किया. इस दौरान इनका परिवार भी बढ़ा. सुखराम और रजपता देवी के तीन बेटे और दो बेटियां भी हुईं. जिंदगी की भाग-दौड़ में दोनों को कभी ये आभास ही नहीं हुआ कि उन्होंने शादी नहीं की है. आज इनके बच्चों के भी बच्चे हैं, यानी प्रेमी जोड़ा दादा-दादी और नाना-नानी बन चुके हैं.

नाती-पोते बाराती बने

सुखराम कहते हैं रजपता और उनके बीच प्रेम संबंध इतना मजबूत है कि कभी जिंदगी और समाज की मुश्किलें याद ही नहीं रही. कुछ महीने पहले दोनों अपने बच्चों के साथ घर में बैठे थे तभी रजपता ने इच्छा जाहिर की कि अब तो उनका परिवार भरा पूरा है. अब वे जिंदगी के आखिरी पड़ाव में हैं. ऐसे में क्यों न प्रेम के संबंध पर सामाजिक मुहर लगा दी जाए. बच्चों ने रजपता की इच्छा पूरा करने की ठानी. उन्होंने पिता सुखराम को उम्र के इस पड़ाव में शादी के लिए तैयार किया. इसके बाद बेहद धूम-धाम से दोनों की शादी रचाई गई. इस शादी में गांव वालों के साथ दूल्हा-दुल्हन के बेटे-बेटियां, नाती-पोते बाराती बने.

इस अनोखी शादी में गांव वालों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. इस शादी पर गांव वालों का कहना है कि रजपता और सुखराम ने सच्चा प्यार किया है. दोनों गांव में ऐसे रहते कि किसी को पता ही नहीं चलता कि ये पति-पत्नी नहीं हैं. इन्होंने प्रेम की मिसाल कायम की है.
 


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