महिला ने 97 साल की उम्र में कोरोना को दी मात, द्वितीय विश्व युद्ध में रही हैं होलोकॉस्ट सर्वाइवर

दुनियाभर में कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. अबतक करोड़ों लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और बहुत से लोगों की जान भी जा चुकी है. वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जो काफी ज्यादा उम्रदराज होने के बाद भी इस बिमारी से जीतकर घर लौट रहे हैं.

महिला ने 97 साल की उम्र में कोरोना को दी मात, द्वितीय विश्व युद्ध में रही हैं होलोकॉस्ट सर्वाइवर

महिला ने 97 साल की उम्र में कोरोना को दी मात, द्वितीय विश्व युद्ध में रही हैं होलोकॉस्ट सर्वाइवर

दुनियाभर में कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. अबतक करोड़ों लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और बहुत से लोगों की जान भी जा चुकी है. वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जो काफी ज्यादा उम्रदराज होने के बाद भी इस बिमारी से जीतकर घर लौट रहे हैं. हाल ही में लंदन में एक 97 साल की महिला ने कोरोना को मात दे दी है और वह ठीक होकर घर लौट आई हैं. दरअसल, होलोकॉस्ट (Holocaust) के दौरान जीवित रहने वाले 97 साल की लिली एबर्ट (Lily Ebert) कोरोना संक्रमित पाई गई थी. जो लंबे इलाज के बाद अब पूरी तरह से ठीक हो गई हैं. जिसकी खबर उनके पोते ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर एक फोटो शेयर करते हुए दी है.

लिली के पोते ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि 'मेरी 97 साल की दादी लिली एबर्ट जो की ऑशविट्ज़ सर्वाइवर हैं, उन्होंने कोरोना संक्रमण से अभी-अभी ठीक होकर वापस आई हैं. आज वह ठीक होने के लगभग एक महीने बाद अपनी पहली वॉक पर निकली हैं.'

एनबीसी न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में लिली के पोते फॉर्मन ने कहा, कि उनकी दादी लिली एबर्ट को जनवरी में कोरोना संक्रमित पाया गया था. जिसके बाद घर पर ही उनका इलाज जारी रहा और तीन सप्ताह बाद पूरी तरह से इस बिमारी से ठीक हो गई हैं. हालांकि, फॉर्मन ने यह भी बताया कि बीते साल 17 दिसंबर को लिली को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक भी दी गई थी, जिसके कुछ हफ्तों बाद उनकी दादी अस्वस्थ महसूस करने लगी औऱ बाद उन्हें कोरोना से संक्रमित पाया गया.

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एनबीसी न्यूज के अनुसार, लिली एबर्ट साल 1944 में ऑशविट्ज़ पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने ऑशविट्ज़ कैंप में 4 महीने बिताए, जहां उनकी मां, भाई और बहन को मौत हो गई थी. बता दें कि ऑशविट्ज़ सर्वाइवर या होलोकॉस्ट सर्वाइवर वह लोग हैं जो यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में द्वितीय विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान नाजी जर्मनी और उसके सहयोगियों से बचे रहे. इस दौरान यहूदियों का उत्पीड़न बड़ी संख्या में किया जाता था.