'बिहार चुनाव 2015'
- 771 न्यूज़ रिजल्ट्स India | Written by: प्रमोद कुमार प्रवीण |रविवार अक्टूबर 11, 2020 04:58 PM IST 2015 के चुनावों में बीजेपी के साथ रहते हुए लोजपा मात्र दो सीटें ही जीत पाई थी और 36 सीटों पर नंबर दो रही थी. इनमें से 20 सीटें ऐसी थीं, जहां उसने जेडीयू उम्मीदवारों को सीधे टक्कर दी थी.
India | Written by: प्रमोद कुमार प्रवीण |शनिवार अक्टूबर 3, 2020 03:37 PM IST 1990 के विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की थी, उसके बाद विपक्ष ने उनके खिलाफ हर बार नए-नए उम्मीदवार उतारे लेकिन कोई उन्हें हरा न सका.
India | Written by: प्रमोद कुमार प्रवीण |शुक्रवार अक्टूबर 2, 2020 05:03 PM IST 2015 में उन्होंने बहुत ही कम मतों के अंतर से राजद के संतोष मेहता को पटखनी दी थी. यादव को 88,108 वोट मिले थे जबकि मेहता को 85,316 वोट मिले थे.
India | Written by: प्रमोद कुमार प्रवीण |शुक्रवार अक्टूबर 2, 2020 04:02 PM IST इमामगंज सीट औरंगाबाद लोकसभा सीट के तहत पड़ता है. 2015 के बाद यहां का सियासी समीकरण बदल चुका है.
India | Reported by: प्रमोद कुमार प्रवीण |शुक्रवार सितम्बर 18, 2020 04:55 PM IST पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गठबंधन की खातिर अपनी पांच सीटिंग सीटें जेडीयू के लिए छोड़कर बड़ा दिल दिखाया था. अब बीजेपी जेडीयू से इसी तरह की उम्मीद विधान सभा चुनावों में कर रही है.
Bihar | Reported by: अखिलेश शर्मा, Edited by: नवीन कुमार |शुक्रवार अगस्त 14, 2020 02:47 PM IST बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में अनंत कुमार चुनाव प्रभारी और धर्मेंद्र प्रधान और भूपेन्द्र यादव सहचुनाव प्रभारी थे. भूपेन्द्र यादव तब भी बिहार बीजेपी के प्रभारी थे.
India | Reported by: मनीष कुमार, Written by: मानस मिश्रा |सोमवार फ़रवरी 10, 2020 01:00 PM IST बिहार में एनडीए के नेता परेशान हैं. लेकिन उनकी परेशानी का कारण दिल्ली चुनाव को लेकर एग्जिट पोल के नतीजे नही हैं बल्कि उनकी परेशानी का कारण सुप्रीम कोर्ट का एक उत्तराखंड सरकार की ओर से दायर एक याचिका में वो फ़ैसला हैं जिसमें आरक्षण को मौलिक अधिकार नहीं मानते हुए राज्य सरकारों को अपने विवेक से काम करने का आदेश दिया है.
India | Reported by: मनीष कुमार, Written by: मानस मिश्रा |शुक्रवार जनवरी 3, 2020 12:51 PM IST बिहार में साल 2020 जहां बीजेपी-जेडीयू गठबंधन, नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य तय होना है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम साबित नहीं होने वाला है. साल 2015 में जब आरजेडी ने नीतीश की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो बीजेपी उस समय मोदी लहर पर सवार थी. लेकिन बिहार में आरजेडी और जेडीयू के वोटबैंक ने मिलकर बीजेपी को हरा दिया था. इसमें गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल और इसे उस चुनाव में महागठबंधन कहा गया था.
Bihar | Reported by: भाषा, Edited by: नितेश श्रीवास्तव |मंगलवार नवम्बर 26, 2019 03:07 AM IST तेजस्वी ने सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में 2015 के चुनाव में सरकार बनाने का जनाधार नहीं प्राप्त होने के बावजूद 2017 में भाजपा को प्रदेश की सत्ता में लाने के लिए यहां भी तो रात ही में खेल हुआ था.
Bihar | Reported by: मनीष कुमार, Written by: मानस मिश्रा |सोमवार सितम्बर 2, 2019 07:54 PM IST साल 2015 में बिहार में जिस नारे के दम पर नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव जीता था इस बार उसमें थोड़ा सा बदलाव किया गया है. पिछली बार नारा था, 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है' इस नारे को गढ़ने में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दिमाग़ था. लेकिन जो नया बदलाव किया गया है इसमें प्रशांत किशोर का कोई हाथ नहीं है. लेकिन साल 2020 में होने वाले चुनाव को लेकर जो नारा गढ़ा गया है वह है, 'क्यूं करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार'. अब देखने वाली बात यह होगी कि बदली परिस्थितियों में नारे कितना काम करते हैं. लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके नीतीश कुमार ने पिछला चुनाव आरजेडी+जेडीयू+कांग्रेस को मिलाकर महागठबंधन के बैनर तले लड़ा था. जिसमें इन तीन पार्टियों का वोटबैंक बीजेपी पर भारी पड़ गया था. नीतीश कुमार इससे पहले एनडीए में थे लेकिन नरेंद्र मोदी को पीएम पद का चेहरा बनाए जाने पर वह नाराज हो गए और बीजेपी से नाता तोड़ लिया.
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